उज्जैन के महाकाल परिसर में गिरी छह मूर्तियों को लेकर सत्ता और विपक्ष आमने सामने
MP News: मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर इनदिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। पिछले दिनों आंधी और बवंडर के चलते महाकाल परिसर में बने संतों की 6 मूर्तियां धराशायी हो गई थी। ये मूर्तियां मात्र सात महीने पहले ही बैठे गई थी और प्रधानमंत्री मोदी ने इस परिसर का उद्घाटन किया था। मूर्तियों के विखंडन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तलवार खींची हुई है। बीजेपी और सरकार के कोई जवाब नहीं दे रहे हैं वही कांग्रेस पूरी तरह से इस मसले को लेकर सरकार पर हावी है। कांग्रेस ने इस मामले में शिवराज सरकार पर घोटाला का आरोप लगाया है और कहा है कि लगाईं गई मूर्तियों को न ठीक से बैठाया गया और न ही इसमें अच्छे मटेरियल का ही उपयोग किया गया। फिर इन मूर्तियों को स्थापित करने में जो भुगतान किया गया वह भी तीन गुना ज्यादा भुगतान किया गया।
महाकाल परिसर में गिरी मूर्तियों का आंकलन करने के लिए कांग्रेस ने अपने लोगों को भेजा था। कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य शोभा ओझा और सज्जन सिंह वर्मा घटना स्थल पर पहुंचे और पूरी जानकारी लेकर सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। ओझा ने कहा है कि इस परियोजना में तय शर्तों का पालन नहीं किया गया है और मूर्तियां लगाने वालों को तीन गुना भुगतान किया गया है। जाहिर है यह घोटाला है। कांग्रेस नेता ने पत्रकारों को बताया है कि महाकाल लोक परिसर के लिए शिवराज सरकार ने परियोजना के लिए 98 लाख का अनुमान लगाया था। लेकिन तब कमलनाथ सरकार ने इस राशि को अपर्याप्त बताते हुए तीन करोड़ की राशि को स्वीकृत किया था इसका कार्यादेश भी 2019 में किया गया था। लेकिन जिस तरह के काम किये गए हैं उसमे घोटाला किये गए।
घटना स्थल पर पहुंचे कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि मूर्तियों को तय शर्तों के मुताबिक नहीं स्थापित किया गया। एफआरपी की बनी मूर्तियों की मजबूती के लिए लोहे का आतंरिक ढांचा तैयार किया जाता है। लेकिन महाकाल लोक में लगी मूर्तियों में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। प्रतिमाओं के निर्माण में उपयोग क जाने वाले नेट की मोटाई 1200 से 1600 ग्राम जीएसएम का होना चाहिए था लेकिन स्थापित मूर्तियों में 150 से 200 ग्राम जीएसएम के ही चीनी नेट का उपयोग किया गया। यह सरासर गलत है और इसमें पैसे का बंदरबांट किये गए। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि मूर्तियों को बिना बेस के 10 फ़ीट ऊँचे फाउंडेशन पर सीमेंट से जोड़ दिया गया। इसी कारण थोड़ी सी हवा और अंधी में ये मूर्तियां गिर गई।
मूर्तियों की जांच ले लिए प्रयोगशाला भी स्थापित करने की बात थी जो संभव नहीं हो सका।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि इसी उज्जैन शहर में कई और मूर्तियां एक ही ठेकेदार द्वारा लगाई गई है। लेकिन उसकी लागत में ज्यादा अंतर दिख रहा है। एक ही ठेकेदार ने 25 फ़ीट की मूर्तियों को चार लाख ग्यारह हजार में लगाईं थी जबकि महालोक परिसर में 15 फ़ीट ऊँची मूर्तियों को दस लाख दो हजार में लगाईं। यानी कि तीन गुना ज्यादा भुगतान किया गया।
इसकी कीमत अधिकतम तीन लाख तक होनी चाहिए थी।
उधर बीजेपी अब इस मामले में कोई जवाब नहीं दे रही है। सरकार के लोग भी मौन हैं। लेकिन उज्जैन में अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि बीजेपी ने भगवान महाकाल को भी लूट लिया। आने वाले चुनाव में इस मुद्दे को उठाने के लिए कांग्रेस घर -घर पहुँच रही है। कहा जा रहा है कि अगर जनता के मन में ये बातें बैठ गई तो बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है।