कर्नाटक में सिलेबस से हेट हेडगेवार ,स्कूलों में प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना को पढ़ना हुआ अनिवार्य
Educational Politic’s:देश का शिक्षा जगत किस तरह से राजनीति से प्रभावित है इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक देखने को मिल रहा है। पुराणी बीजेपी सरकार ने किताबों में अपने मुताबिक कई पाठों को शामिल किया था। इन्ही पाठों में से एक थी बीजेपी के संस्थापक हेडगेवार की जीवनी। बच्चे पढ़ते थे और शिक्षक पढ़ाते भी थे। लेकिन अब कांग्रेस की नई सरकार ने सिलेबस से हेडगेवार को हटा दिया है। इसका निटिफिकेशन भी जारी हो गया है। यह हेडगेवार नहीं पढ़ाये जाएंगे। हालांकि इस को लेकर कर्नाटक बीजेपी इकाई ने कड़ी आपत्ति की है लेकिन सरकार के फैसले को कौन मन कर सकता है ?
कहा जा रहा है कि जैसा बीजेपी ने किया अब वही काम कांग्रेस कर रही है।
लेकिन मामला अब यही तक नहीं है। मौजूदा सिद्धरमैया सरकार ने यह भी फैसला किया है कि स्कूल और कॉलेजों में प्रार्थना के बाद अब संविधान की प्रस्तावना को को पढ़ना होगा। सबको याद करना होगा। आज कैबिनेट की हुई बैठक में कई और फैसले लिए गए। शिक्षा मंत्री मधु बंगरप्पा ने कहा है कि हेडगेवार पर पाठ्यक्रम हटा दिया गया है। पिछली सरकार ने जो भी बदलाव किये थे ,हमने उसे हटा दिया। और उसके पहले जो भी चल रहा था वह आज से चालू हो गया। बीजेपी ने इसका बड़ा विरोद किया है।
बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस हिन्दू विरोधी है।
शिक्षा मंत्री मधु बंगरप्पा ने पत्रकारों को कहा है कि जिन चीजों की कोई जरूरत नहीं थी उसे पुस्तक से हटा दिए गए हैं। और यह सब बच्चो के हित के लिए किये गए हैं। कन्नड़ पाठ्यक्रमों से लेकर सामाजिक विज्ञानं में कई बदलाव किये गए हैं। मंत्री ने कहा कि जो बदलाव किये गए हैं वह पुस्तक दस दिनों के भीतर छात्रों तक पहुँच जायेंगे। किसी की पढ़ाई पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा।
आप दस दिन और इन्तजार कीजिये सभी बच्चों को नई पुस्तक मिल जाएगी।
उधर बीजेपी सरकार ने शिक्षा मंत्री रहे बीसी नागेश ने सरकार के इस फैसले का कडा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुसलमानो के वोट चाहते हैं और यह सरकार हिन्दुओं के खिलाफ है। पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार फिर से हिजाब लागू कर सकती है।
यह सरकार अब हर चीज को राजनीतिक नजरिये से देख रही है।
बता दें कि पिछली बीजेपी सरकार ने पाठ्यक्रम में संशोधन किया था। उसने संघ के संस्थापक हेडगेवार को पाठ्यक्रम से जोड़ दिया था। इसके साथ ही कई दक्षिण पंथी विचारको को भी पुस्तक में शामिल किया था। इसके बाद राज्य में बड़ा विवाद भी खड़ा हुआ था लेकिन सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया। बीजेपी सरकार ने टीपू सुलतान का महिमांडन भी बंद करा दिया था। लेकिन अब सारे फैसले को पलट दिया गया है।