Day Against Drug Abuse: कोविड-19 महामारी के बाद बढ़ती बेरोजगारी और घटते अवसरों का सबसे ज्यादा असर निर्धनतम समुदायों पर हो रहा है और मादक पदार्थों (ड्रग्स) या नशे की लत का शिकार होने की आशंका है। मादक पदार्थों और नशीली दवाइयों के इस्तेमाल करके लोग बीमार हो रहे है इस लत का शिकार हो रहे है. नशा समाज के लिए ऐसा दीमक बन गया है जो वक्त से पहले ही लोगों को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है।
नशीले पदार्थों (Day Against Drug Abuse) के सेवन से व्यक्ति का शरीर तो बीमारियों की चपेट में आ रहा है साथ ही नशे के कारण परिवार भी बर्बाद हो रहा है नशे के प्रभाव से बच्चे, बुजुर्ग और युवा कोई भी नहीं बच पाया है. मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभाव से सिर्फ भारत ही नहीं पूरा विश्व जूझ रहा है। युवा पीढ़ी इसका शिकार होकर अपने भविष्य को नष्ट कर रही है, स्त्रियां भी इसका शिकार हो रही हैं।
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नशा व्यक्ति, परिवार की खुशियां लील जाता है। लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया जाता है. जानकारी के मुताबिक बता दें 7 दिसंबर 1987 को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की शुरूआत की थी.
मादक पदार्थों का सेवन (Day Against Drug Abuse) करने वाले लोग कई उन दवाइयों का भी इस्तेमाल करते हैं, जो उपचार के लिए प्रयोग की जाती है जैसे कि निकोटिन, ओपियाड, दर्द निवारक दवाइंया और कफ सिरप इनमें प्रमुख है. इसके अलावा मार्फिन कोकीन, स्मैक, हशीश, एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां और मिर्गी की दवाइयों का भी प्रयोग लोग करते है नशे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ये दवाइयां मानसिक समस्याएं एवं गंभीर शारीरिक बीमारियां पैदा करती है. जो लोग नशे का इंजेक्शन लेते है उन्हें हेपेटाइटिस और एचआईवी के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है.
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आंकड़ों के मुताबिक ज्यादा नशा करने के कारण 2017 में 745, 2018 में 875 एवं 2019 में लोगों की मौत हो चुकी है । सबसे ज्यादा मौत कर्नाटक राजस्थान (rajesthan), और उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) में हुई है। मरने वालो की संख्या सबसे ज्यादा 30 से 45 आयु वर्ग के लोगों की है। नशाखोरी की समस्याओं के चलते रोजाना लगभग 7,8 लोग आत्महत्या करते हैं।