UTTARAKHAND NIKAY CHUNAV 2025: आचार संहिता उल्लंघन: निर्वाचन आयोग ने पुलिस और वन विभाग के मुखिया से जवाब तलब, IFS अफसरों को चुनाव ड्यूटी से राहत
UTTARAKHAND NIKAY CHUNAV 2025 : उत्तराखंड में निकाय चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने पुलिस और वन विभाग के मुखिया से जवाब तलब किया है। वन विभाग में 159 अभ्यर्थियों को वन आरक्षी पद पर नियुक्ति और तैनाती देने के मामले को आचार संहिता के उल्लंघन के रूप में देखा गया है। इसी तरह, पुलिस विभाग में 28 पुलिस उपाधीक्षकों की पदोन्नति के साथ 46 स्थानांतरण किए गए, जिसे निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए अतिरिक्त 18 स्थानांतरण आदेशों को स्थगित करने का निर्देश दिया है।
UTTARAKHAND NIKAY CHUNAV 2025 : उत्तराखंड में निकाय चुनाव के बीच आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने पुलिस विभाग और वन विभाग के मुखिया से जवाब तलब किया है। आयोग ने यह कदम हाल ही में हुए नियुक्तियों और स्थानांतरण के मामलों को लेकर उठाया है।
वन विभाग पर सवाल
मामला वन विभाग में 159 अभ्यर्थियों को वन आरक्षी पद पर नियुक्ति देने से जुड़ा है। इन अभ्यर्थियों को शासन की मंजूरी के बाद हाल ही में नियुक्ति दी गई थी। लंबे समय से प्रतीक्षा सूची में शामिल इन अभ्यर्थियों को एक दिन पहले ही नियुक्ति और तैनाती दी गई थी। हालांकि, राज्य में चल रहे निकाय चुनावों के दौरान आचार संहिता लागू है। इस पर निर्वाचन आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) से जवाब तलब किया है।
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IFS अधिकारियों को मिली राहत
इसके साथ ही, राज्य निर्वाचन आयोग ने भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों को चुनावी ड्यूटी से मुक्त रखने का निर्देश दिया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए प्रमुख वन संरक्षक को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि निकाय चुनाव के दौरान प्रदेश में IFS अधिकारियों की ड्यूटी चुनावी कार्यों में नहीं लगाई जाएगी। इस निर्देश के तहत राज्य में इन अधिकारियों की चुनाव ड्यूटी को निरस्त कर दिया गया है।
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पुलिस विभाग पर कार्रवाई
उधर, निर्वाचन आयोग ने पुलिस विभाग के मुखिया को भी आचार संहिता उल्लंघन के मामले में पत्र भेजा है। आयोग ने पुलिस उपाधीक्षकों (DSP) की पदोन्नति और स्थानांतरण पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में प्रदेश में 28 पुलिस उपाधीक्षकों की पदोन्नति हुई थी, लेकिन इसके साथ 46 अधिकारियों के स्थानांतरण के आदेश जारी कर दिए गए। आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए अतिरिक्त 18 स्थानांतरण आदेशों को स्थगित करने का निर्देश दिया है।
निर्वाचन आयोग की सख्ती
आचार संहिता लागू होने के दौरान किसी भी प्रकार की नियुक्ति, पदोन्नति या स्थानांतरण पर रोक होती है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
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चुनाव प्रक्रिया पर असर
राज्य में निकाय चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग हर कदम पर नजर रख रहा है। आयोग की सख्ती से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आचार संहिता का पालन हो और किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
यह घटनाक्रम राज्य में निकाय चुनावों के दौरान प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब देखना होगा कि वन और पुलिस विभाग के मुखिया इस मामले में क्या जवाब देते हैं और आयोग इन मामलों में आगे क्या कदम उठाता है।
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