Anil ambani News: एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी का बुरा समय खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. उनकी एक के बाद एक कंपनियां डूबती जा रही है. कभी उन्हें खुद अपनी कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में लेकर जाना पड़ता है तो कभी दूसरी कंपनी उन्हें इस प्रोसिडिंग्स में खींचकर ले आती है. ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है रिलायंस इनोवेंचर्स के साथ.
यस बैंक से अनिल अंबानी ने लोन किया था, उसके बाद यह (American financier Jesse Flowers) अमेरिकी फाइनेंसर जेसी फ्लावर्स के पास आ गया. विदेशी फाइनेंसर ने आरोप लगाते हुए कहा है कि रिलायंस ने 100 करोड़ रुपये के ब्याज पेमेंट को डिफॉल्ट किया है.
अनिल अंबानी की इस कंपनी को एनसीएलटी में लाकर और इंसॉल्वेंसी प्रोसिडिंग्स में एंट्री कराई गई है. वास्तव में अमेरिकी फायनेंसर जेसी फ्लावर ने लोन डिफॉल्ट करने करने को लेकर अनिल अंबानी की कंपनी को एनसीएलटी में लेकर आई है. पिछले साल दिसंबर के महीने में यूएस बेस्ड फाइनेंसर ने यस बैंक से 48 हजार करोड़ रुपये का बैड लोन लिया था. जिसमें अनिल अंबानी का लोन भी शामिल था.
पेमेंट का किया है डिफॉल्ट
(economy times) इकोनॉमिक टाइम्स कर रिपोर्ट ने बताया कि रिलायंस इनोवेंचर्स ने साल 2015 और 2017 में (yes bank) यस बैंक से लोन लिया था. जिसके बाद यस बैंक ने (Reliance InnoVentures) रिलायंस इनोवेंचर्स का लगभग 1000 करोड़ रुपये का लोन जेसी फ्लावर्स को सुपुर्द कर दिया. यस बैंक की तरफ से टर्म लोन और (non-convertible debentures) नॉन-कनवर्टीबल डिबेंचर्स के रूप में दिया था. जेसी फ्लावर्स के मुताबिक अनिल अंबानी की रिलायंस इनोवेंचर्स ने 100 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना था जो रिलायंस ने डिफॉल्ट किया है. रिपोर्ट की माने तो रिलायंस इनोवेंचर्स किसी भी तरह के डिफॉल्ट से मना किया है.
कंपनी का दावा
आपको बता दें (innoventures) इनोवेंचर्स ने दावा किया है कि उन्होंने फाइनेंस कंपनी को कॉलेटरल किया है वह उसके लोन को पूरी करने के लिए काफी है. इसने दावा किया कि लेनदार ने रिलायंस ग्रुप की 4 कंपनियों के शेयरों की गैर जरूरी वक्त पर सेल कर दिया था जिसके कारण उन कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी. रिलायंस इनोवेंसर्च के मुताबिक रिलायंस इंफ्रा, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पॉवर, और रिलायंस होम फायनेंस के शेयरों को होल्डिंग कंपनी द्वारा लिए गए लोन के कॉलेटरल के रूप में रखा गया था, जो कि 2019 में फायर सेल से 12 महीने पहले 2,598 करोड़ रुपये का था.
आपको बता दें (yes bank) यस बैंक ने साल 2019 में इन शेयरों को 142 करोड़ रुपये में बेच दिया था. उसके बाद कंपनी का लोन जेसी फ्लावर्स के पास गया. अनिल अंबानी की कंपनी ने दावा किया है कि जेसी के पास एनसीएलटी में जाने का कोई अधिकार नहीं है. वैसे (NCLT) ने विदेशी कंपनी की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने तारीख और डिफॉल्ट दोनों को साबित किया है.