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लोकसभा चुनाव को देखते हुए मायावती करेंगी यूपी का दौरा!

Bahujan Samaj (BSP) Chief Mayawati News Today! बसपा में तैयारी चल रही है। मायावती की बैठके भी जारी है। हर रोज कुछ ख़ास नेताओं के साथ मायावती सीटों को लेकर गुणाभाग तैयार भी कर रही है और इंडियागठबन्धन से लेकर एनडीए की रणनीति को भी पढ़ रही है और समझ भी रही है।

बसपा प्रमुख मायावती की राजनीति अभी भले ही कमजोर दिखती हो लेकिन ऐसा है नहीं। उनके पास अभी भी एक बड़ा वोट बैंक है और अगर जमीनी स्तर पर बसपा के लोग उतर जाए जाए तो आज भी बसपा कमाल कर सकती है। जिस तरह के जातीय खेल और जातीय ध्रुवीकरण देश में चल रहे हैं और जिस तरह का मिजाज मायावती का रहा है उसमे जानकार भी मानते हैं कि मायावती अगर कुछ अलग तरह से मेहनत आगामी लोकसभा चुनाव में कर दी तो देश की राजनीति भी बदल सकती है और बसपा एक नए कलेवर में सामने आ सकता है।

जानकारी मिल रही है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की यूपी दौरे की योजना तैयार की जा रही है। यह योजना आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर ही है। कहा जा रहा है कि अभी तक वे अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है लेकिन कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता। लेकिन जबसे इंडिया गठबंधन में मायावती को लेकर चर्चा शुरू हुई है और मायावती को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने तक की बात की जाने लगी है उससे देश की राजनीति के साथ ही यूपी की राजनीति में भी खलबली मच गई है।

हर कोई जानता है कि मायावती अगर देश की पीएम उम्मीदवार हो जाए तो देश का राजनीतिक मिजाज ही झटके में बदल जायेगा। सभी दलों के राजनीतिक खेल ख़राब हो जयेन्गे और सभी कूटनीतिक खेल खराब हो जायेंगे। लेकिन मायावती न खुद से इतना सीट ला सकती है और नहीं बसपा की इतनी ताकत है। लेकिन बसपा प्रमुख मायावती की ताकत इतनी जरूर है कि वह देश की सबसे चर्चित दलित नेता है और उसके पास अपना बहुत बड़ा जनधार है। कई राज्यों में उसके वोट बैंक है और खासकर यूपी और उत्तराखंड में उसकी मजबूत पहुँच भी है।

इंडिया गठबंधन के साथ मायावती की क्या कहानी बनती है यह तो बाद का विषय है। अगर वह अकेले भी चुनावी मैदान में जाती है और यूपी से बेहतर परिणाम पाती है तब भी बाद में इंडिया गठबंधन दाव लगा सकता है। लेकिन अभी का सच तो यही है कि मायावती खुद की पार्टी बसपा को चुनाव के लायक बनाने के लिए फिल्ड में उतने की जरूरत हो गई है। पार्टी के एक सूत्र की माने तो जनवरी महीने से मायावती यूपी के दौरे पर जा सकती है ताकि पार्टी के लोगों से वे सीधे मिल सकें और जमीनी फीडबैक ले सकें।

सूत्र यह भी बताते हैं कि मायावती यूपी और उत्तराखंड को अपने हिसाब से चलाने की तैयारी कर रही है। देश के बाकी राज्यों में बसपा के प्रदेश इकाई काम करती है और उसके अध्यक्ष और प्रभारी भी है लेकिन यूपी और उत्तराखंड की पूरी राजनीति को मायावती खुद ही देख रही है।

बसपा का आज भी ख़ास वोट बैंक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को दस सीटों पर जीत मिली थी जबकि सपा को पांच सीटों पर ही जीत हुई थी। उस चुनाव में दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। लेकिन बाद में गठबंधन टूट गया। 2022 के विधान सभा चुनाव में बसपा की भारी हार हुई और केवल एक सीट पर ही वह सिमट गई। बसपा की यह अबतक की सबसे बड़ी हार थी। लेकिन इसके इतिहास को देखे तो इसकी राजनीति काफी आगे वाली रही है। 2009 के चुनाव में बसपा को 20 सांसद मिले थी लेकिन 2014 में बसपा फिर से शून्य पर आ गई थी। कभी बसपा के पास करीब 25 फीसदी वोट होते थे लेकिन अब यह वोट गिरकर 13 फीसदी पर पहुँच गया है। आज भी बसपा के साथ जाटव वोट खड़ा है और यह कई प्रदेशों में बसपा को ही वोट देता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हल में ही जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं वहां भी बसपा को तीन से चार फीसदी वोट मिले हैं जबकि दूसरी पार्टियों का वोट प्रतिशत एक फीसदी से भी कम रहा है। ऐसे में जानकार भी मानते हैं कि बसपा अगर पूरी ताकत के साथ चुनावी तयारी करती है तो देश की राजनीति भी बदल सकती है क खेल भी मजबूत हो सकता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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