Bilkis Bano Case: कभी कभी दाव उल्टा भी पड़ जाता है। लगता है कि बिलकिस बानो (Bilkis Bano) रेप और उसके परिजनों की हत्या के बाद गुजरात सरकार ने जिस तरह से दोषियों को जेल से छोड़ है अब उसकी गले की हड्डी बनती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अब इस मसले को लेकर काफी गंभीर हो गई है। मंगलवार को सुनवाई करते हुए अदालत की पीठ ने गुजरात सरकार से पूछा है कि आखिर उसने दोषियों को क्यों छोड़ा ? अदालत ने कहा कि हत्या और नरसंहार में अंतर होता है और सरकार ने इसकी तुलना ठीक से नहीं की है। अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले का जवाबी हलफनामा एक मई तक सरकार जमा करे और सरकार दोषियों की रिहाई की वजह नहीं बताएगी तो हम इसका निष्कर्ष निकालेंगे।
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने कोर्ट में वादा किया था कि दोषियों की रिहाई से जुडी सभी फाइलें अदालत में पेश कर दी जाएंगी। यह वादा 28 मार्च को किया गया था। लेकिन कल की सुनवाई में जब गुजरात सरकार की फाइलें नहीं दिखी तो अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि गुजरता सरकार सबसे पहले दोषियों को छिड़ने का कारण बताये। अदालत ने यह भी कहा कि जो बिलकिस के साथ हुआ वह कल किसी और के साथ भी हो सकता है। अदालत ने और अहम् टिप्पणी करते हुए कहा कि सेब की तुलना संतरे से नहीं जा सकती। वैसे ही नरसंहार की तुलना हत्या से नहीं की जा सकती। अदालत टिप्पणी करती रही और गुजरात सरकार सब सुनती रही ,अदालत में सब कुछ शांत था। कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं था।
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कोर्ट ने दोषियों को दिए गए पैरोल पर भी सवाल उठाया। अदालत में पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि हम एक मई तक इसके बारे में विचार करेंगे कि फ़ाइल दाखिल करें या नहीं। इसके बाद अदालत ने कहा कि दो मई को दो बजे अब इस मसले पर सुनवाई होगी। बता दें कि 2002 में हुए गुजरात दंगा के समय बिलकिस बानो से रेप किया गया था। इसके साथ ही उसके कई परिजनों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुकदमा चला और 11 लोगों को दोषी पाया गया था। फिर 15 अगस्त 2022 को गुजरात सर्कार ने एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर इन दोषियों को समय से पहले ही रिहा कर दिया था। इसके बाद बिलकिस बानो फिर से 30 नवम्बर 2022 को सुप्रीम अदालत के सामने गुहार लगाई थी।