लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा ने अपने प्रत्याशी चयन मामले में नई रणनीति बनाई है। भाजपा अपराधी प्रवृत्ति के कार्यकर्ताओं व बाहरी लोगों को टिकट देने से परहेज रखेगी। भारतीय जनता पार्टी की नई चुनावी रणनीति में पिछड़े वर्ग के लोगों और महिलाओं को प्राथमिकता के साथ चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
भाजपा सूत्रों कहना है कि पार्टी की कोशिश रहेगी कि साफ छवि वाले जिताऊ प्रत्याशियों को ही टिकट दिया जाए। इसके लिए पार्टी में गहन चिंतन के साथ ही जमीनी पकड़ रखने वाले लोकप्रिय कार्यकर्ताओं के बारे में संगठन के पदाधिकारियों के साथ-साथ दूसरे माध्यमों से भी उनकी फीडबैक मंगवाई जा रही है। पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट संकेत दिये हैं कि किसी भी ठेकेदार, भूमि खनन कारोबारी को टिकट देने की सिफारिश न की जाय।
बताया जा रहा है कि भाजपा के इस कदम से धन बल पर निकाय चुनाव लड़ने का स्वप्न देखने वाले कार्यकर्ताओं को झटका लगा है भाजपा का प्रयास है कि वह राजनीतिक को अपराधीकरण से दूर करने की दिशा में न्यूनतम कदम आवश्यक है इसके लिए उसकी कोशिश यही होगी कि वह फिलहाल निकाय चुनाव में अपराधी प्रवृत्ति के नेताओं को कम से कम टिकट दे।
योगी सरकार जिस तरह से प्रदेश में माफियाओं, गैंगेस्टरों व अपराधियों पर कानून का कड़ा हंटर चला रही है, उससे यह साफ है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी आपराधिक छवि वाले नेताओं को टिकट देने से गुरेज करेगी। साथ ही भाजपा का फोकस पिछड़े वर्ग को प्राथमिकता देना है। पिछड़ा आरक्षण की अधिसूचना में भी महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रदेश सरकार ने निकाय चुनाव में आरक्षण संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है और इस पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 1 सप्ताह का समय दिया गया है। आपत्तियां प्राप्त होते ही उनके निस्तारण के साथ योगी सरकार राज्य चुनाव आयोग को पत्र भेज कर निकाय चुनाव की तिथि घोषणा करने का अनुरोध कर सकती है।
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माना जा रहा है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग निकाय चुनाव यानी प्रदेश के सभी निकायों (762) नगर निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के चुनावों की घोषणा कर सकता है। उम्मीद जतायी जा रही है कि प्रदेश मै निकाय चुनाव मई के अंत तक संपन्न करा लिये जाएंगे।