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बिहार में चाचा और भतीजा के बीच की लड़ाई से बीजेपी को होगा नुकसान!

BJP News: बीजेपी आज दिल्ली के अशोक होटल में एनडीए की बैठक बुला रही है। लंबे समय के बाद एनडीए (NDA) की बैठक हो रही है। एनडीए के 25 वर्ष भी पूरे हो गए है। ऐसे में इस बैठक के जरिए इस समूह का रजत जयंती समारोह भी मनाया जायेगा। लेकिन बड़ी बात यह है कि करीब 30 से ज्यादा पार्टियों का यह समूह आगामी चुनाव में कोई बड़ा परफॉर्मेंस कर पाएगा?

bjp with chirag paswan

बीजेपी (BJP) इस समूह की सबसे बड़ी पार्टी है और फिलहाल सत्ता पर काबिज भी। बीजेपी इतनी मजबूत है कि अभी तक उसे किसी और दल के सहयोग की जरूरत हो नहीं पड़ी। लेकिन अब बीजेपी को लग रहा है कि एनडीए को जगाना जरूरी है। जिस तरह से देश की तमाम बड़ी पार्टियां एक साथ आकर विपक्षी एकता की बात कर रही है उससे बीजेपी की सांसे फूली हुई है।

खैर बीजेपी एनडीए की बैठक आज करेगी। यह बैठक शाम को होनी है। इस बैठक पर भी सियासी नजर है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है जिस चिराग पासवान (Chirag Paswan) को इस बैठक में बुलाया गया है उसके बाद उनके चाचा और मोदी सरकार में राज्य मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Paras) काफी नाराज है। पारस का कहना है कि वे तो एनडीए के साथ है।बीजेपी कई दलों को एनडीए से जोड़ना चाहती है यह अच्छी बात है कोई भी पार्टी चुनावी साल में अपनी स्थिति को मजबूत करती है। लेकिन अगर चिराग को लेकर बीजेपी मुझ पर दवाब बनाती है तो ठीक नहीं होगा।

दरअसल चिराग पासवान बीजेपी के साथ दिखते तो है लेकिन अभी वे या इनका गुट एनडीए के साथ नहीं है। पिछले 2019 के चुनाव में लोजपा की 6 सीटों पर जीत हुई थी। लेकिन दो साल बाद पार्टी में टूट हुई और चाचा पशुपति पारस के साथ पांच सांसद चले गए। चिराग अकेले रह गए। बाद में पारस का गुट एनडीए के साथ चला गया और पारस मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। यहां तक तो सब ठीक था।

अब चुनावी साल में चिराग पासवान हाजीपुर सीट को अपने पास रखना चाहते हैं । जबकि 2019 के चुनाव में हाजीपुर से पारस चुनाव जीते थे। यह पूरा देश जानता है कि हाजीपुर सीट रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही है और यही मानकर चिराग इस सीट पर दांवा कर रहे हैं। लेकिन पारस इस सीट को छोड़ना नहीं चाहते।

chirag paswan and pashupati paras

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अब चाचा भतीजा की लड़ाई एक बार फिर कुलांचे मार रही है। बीजेपी (BJP) तो चाहती है कि दोनों गुटों में मेल-मिलाप हो जाए ताकि पासवान वोट का लाभ मिल सके लेकिन पारस नहीं चाहते कि चिराग एनडीए में आए। वह समझौता भी नहीं चाहते। अब बीजेपी की परेशानी यह है कि अगर पारस पर कोई दवाब डाला गया तो वह एनडीए से अलग हो सकते हैं और अगर चिराग की बात को नहीं मानती है तो वह आगे को राजनीति देख सकते हैं। बिहार में करीब 7 फीसदी पासवान वोट है और बीजेपी चाहती है कि यह वोट बैंक इसके खेमे से अलग नहीं हो पाए।

बिहार में भले ही बीजेपी बहुत कुछ कहती नजर आ रही है लेकिन सच्चाई यही है कि इस बार वह बिहार में फंसती जा रही है।बीजेपी जानती है कि बिहार में अगर फंस गई तो अगला खेल खराब होगा क्योंकि बिहार के साथ ही बंगाल और महाराष्ट्र में भी बीजेपी को घेरने को पूरी तैयारी विपक्ष ने कर रखी है ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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