Lok Sabha Elections: चुनावी खेल चरम पर है। विपक्ष किसी भी सूरत में बीजेपी को मात देने को तैयार है लेकिन बीजेपी किसी भी सूरत में सत्ता में बने रहने को आतुर है। नीतीश की अगुवाई में विपक्षी दलों की बैठक हो चुकी है। अगली बैठक शिमला में होगी जहां से आगे का खेल शुरू होगा। हालांकि इस खेल में अभी कई पड़ाव भी है। सभी दलों को साथ लेकर आगे बढ़ना कोई मामूली बात नहीं है। अगर नीतीश कुमार का खेल सफल होता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेगी। चुनाव में जब एक के खिलाफ एक उम्मीदवार खड़ा होगा तो वोट बाँटने की सम्भावना ख़त्म होगी और फिर बीजेपी जिसका लाभ उठाती रही है उस लाभ से वह वंचित होगी। याद रहे बीजेपी को अभी तक 37 फीसदी वोट ही मिलते रहे हैं और बाकी वोट अन्य दलों में बंटने की वजह से बीजेपी की जीत होती रहीहै। विपक्ष अब इस एकता के जरिये किसी भी सूरत में वोट को बंटने नहीं देना चाहता।
बीजेपी की परेशानी यही है कि वह अब तक धर्म और हिंदुत्व के नाम पर वोट पाती रही है। इसके साथ ही बीजेपी को अभी जो भी वोट मिलते रहे हैं उसमे पीएम मोदी की बड़ी भूमिका रही है। मोदी के नाम पर ही बीजेपी को अबतक वोट मिले हैं। लेकिन अभी पीएम मोदी के चेहरे का इकबाल पहले जैसा नहीं रहा। देश के बहुत से युवा और आम लोग जो बीजेपी के साथ जुड़े थे अब बीजेपी से उनका मोह भांग हुआ है। इसकी वजह सर बेरोजगारी है और देश के भीतर की अन्य समस्या भी।
लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बाद भी बीजेपी विपक्ष का सामना करने को तैयार है। उसने भी नया फार्मूला तय किया है ताकि नीतीश की राजनीति को कमजोर कर सके।
बीजेपी की नजर किसी भी सूरत में बिहार से अधिक सीट जीतने की है। इसके लिए बीजेपी बिहार की छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करने को तैयार है। बीजेपी लोजपा के दोनों धरों ,जीतन राम मांझी ,कुशवाहा और मुकेश साहनी के साथ गठबंधन करने को तैयार है। और कहा जा रहा है कि इस दिशा में बीजेपी काफी आगे तक काम कर रही है। अगर यह गठबंधन तैयार हो जाता है तो नीतीश की राजनीति प्रभावित होगी क्योंकि जिन दलों से बीजेपी गठबंधन करती दिख रही है उसके भी कुछ अपने वोट बैंक है और अपनी जमीन भी। अगर बीजेपी के साथ बाकी दल आपस में मिल जाते हैं तो बीजेपी को कोई बड़ा नुकसान बिहार में होता नहीं दीखता। बस यही देखने की बात है कि इससे सीटों पर कितना असर पड़ता है।
बीजेपी बिहार में नीतीश के फॉर्मूले से ही नीतीश को टक्कर देने को तैयार है। बीजेपी भी बिहार समेत कई राज्यों में पीछे जा चुकी पार्टियों को फिर से साथ लाने को तैयार है। बीजेपी इस दिशा में काम भी कर रही है। बिहार में दलित और खासकर पासवान वोट को साधने के लिए लोजपा के दोनों घरों को एक साथ लाने की कोशिश कर रही है। मांझी पहले ही बीजेपी के साथ जाने की घोषणा कर चुके हैं। उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी से बीजेपी लगातार बैठके कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी का यह प्रयास सफल भी हो जायेगा। कहा जा रहा है कि अगर ये सारे दल बीजेपी के साथ मिल जाते हैं तो दलित ,कोइरी ,मल्लाह का वोट बीजेपी के साथ जुड़ सकता है। और ऐसा हुआ तो नीतीश का खेल बिगड़ सकता है। बीजेपी को लग रहा है कि अगर अति पिछड़ा कर महादलित वोट में से कुछ हिस्सा उसके साथ भी आ जाए तो नीतीश के खेल को बिगाड़ा जा सकता है।
बीजेपी के इस खेल को नीतीश कुमार भी देख रहे हैं। बीजेपी यही प्रयास अन्य राज्यों में भी करती दिख रही है। वह पंजाब से लेकर कई अरु राज्यों में भी कई छोटे दलों से गठबंधन करने को तैयार है।