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चुनावी राज्यों में सांसदों के सहारे बीजेपी का चुनाव दाव !

Election News: पांच राज्यों में चुनावी तारीखों की घोषणा होने के बाद अब बीजेपी की बड़ी चुनौती यही है कि जिन तीन हिंदी पट्टी के राज्यों में उसे पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था उसे किसी भी हाल में जीतना है। यह बात और है कि 2018 के इन विधान सभा चुनाव में बीजेपी को मात देते हुए राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी। बीजेपी इन राज्यों में से दो राज्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2003 से ही सत्ता में थी। यानी कोई 15 साल से बीजेपी यहाँ सरकार चला रही थी। रमन सिंह छत्तीसगढ़ को लगातर तीन बार जिताते गए तो शिवराज सिंह लगातार तीन बार मध्यप्रदेश में जीत दिलाते रहे। पार्टी की चंडी कट रही थी। चारो तरफ बीजेपी का डंका बज रहा था। कांग्रेस धूल धूसरित होती जा रही थी। लेकिन अचानक 2018 में सब कुछ बदल गया। कांग्रेस में हिंदी पट्टी के तीनो राज्यों में जीत हासिल की और बीजेपी की करारी हार हुई। यह लम्बे समय के बाद बीजेपी की सबसे बड़ी हार मानी गई थी।

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लेकिन साल भर बाद 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने सबको पटखनी देते हुए तीनो राज्यों में कमाल का परफॉर्मेंस किया और इन तीनो राज्यों की अधिकांश सीटें जीत गई। विपक्ष और खासकर कांग्रेस का सुफ्रा साफ़ हो गया था पिछले लोकसभा चुनाव में। फिर साल भर बाद ही बीजेपी ने मध्यप्रदेश में ऑपरेशन कमल चलाया और एमपी की कमलनाथ सरकार को गिरा दिया। सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए और उन्होने अपने साथ कई विधायकों को भी ले गए ,कमलनाथ कुछ भी नहीं कर पाए।
लेकिन अब फिर एक बार परिवर्तन का पहिया घूमता नजर आ रहा है। कमजोर हो चुकी कांग्रेस अचानक भारत जोड़ो यात्रा के बाद ताकतवर बनकर उभरी है और कई राज्यों में जीत भी हासिल कार्तव जा रही है। पहले कांग्रेस ने हिमाचल को जीता और कर्नाटक में भारी जीत हासिल की। इसके बाद अभी दो रोज पहले ही कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडिया गठबंधन को लद्दाख पर्वतीय कौंसिल में भी भारी जीत हुई है। कुल 23 सीटों में से २२ सीट पर इंडिया गठबंधन की जीत हुई है। दस सीट कांग्रेस को मिली जबकि 12 सीट जीतने में नेशनल कॉन्फ्रेंस सफल रही है। बीजेपी को मात्र दो सीट मिली है।

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अब कांग्रेस की नजर राजस्थान और मध्यप्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ और तेलंगाना पर भी है। कांग्रेस पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में है। इन सभी राज्यों में बीजेपी के साथ ही उसका मुकाबला है केवल तेलंगाना में केसीआर और कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के बीच संघर्ष है।
लेकिन असली खेल तो हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में ही होने हैं। बीजेपी किसी भी सूरत में राजस्थान में लौटने को बेताव है तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी वह वापसी चाहती है। लेकिन इस बार सबकुछ आसान नहीं है। लोगों का मिजाज भी बदला है और कांग्रेस का नेतृत्व भी पूरी ताकत के साथ बीजेपी से मुकाबला करने को तैयार है। कांग्रेस अगर ये चुनाव ाह्रति है तो उसके सामने फिर से भविष्य का सकता है। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन से वह फिर ज्यादा मोलभाव नहीं कर पायेगी और बीजेपी की हार होती है केंद्र की सत्ता से हाथ भी धोना पड़ सकता है।

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बीजेपी एमपी ,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपने 18 सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों म को मैदान में उतारने जा रही है। इनके नामो की घोषणा भी हो गई। बता दें कि जिन सीटों पर सांसदों और उतारा जा रहा है वे सभी विधान सभा की सीटें पिछले चुनाव में बीजेपी हार चुकी थी। उसके सामने उन सीटों को जीतने की चुनौती है। अगर बीजेपी ये सीटें नहीं जीत पाती है तो फिर उसके सामने बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
राजस्थान के लिए बीजेपी ने पहली 41 लोगों सूची जारी की है। इनमे सात सांसद उतारे गए हैं। बता दें इन 41 सीटों में से 39 सीटें बीजेपी पिछले चुनाव में हार गई थी। बीजेपी को लग रहा है कि सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को उतार कर वह ये सीटें जीत सकती है। यह प्रयोग भर है। यह प्रयोग कामयाब रहा तो बीजेपी को सफलता मिल सकती है और राजस्थान में बाजी भी पलट सकती है। यही हाल छत्तीसगढ़ में भी है। वहां भी बीजेपी ने कई सांसदों को मैदान में उतारा है। मध्यप्रदेश में भी जिन सीटों पर सांसदों को उतारा गया है वे सभी सीटो पर अभी कांग्रेस का कब्ज़ा है। ऐसे में बीजेपी जो प्रयोग कर रही है अगर उसमे सफल हो गई तो बीजेपी हारी बाजी भी जीत सकती है।

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