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Chhath Puja 2022: नहाय-खाय के साथ आज से लोक आस्था का छठ शुरु, महापर्व पर चलेंगी 256 स्पेशल ट्रेनें, आपके पास है घर जाने का अच्छा मौका

इस बार छठ (Chhath Puja 2022) की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर से हो रही है. 31 अक्टूबर को इसका समापन होगा. शुक्रवार से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हुआ. छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. शनिवार को दूसरे दिन शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण कर उपवास शुरू करेंगे.

नई दिल्ली: इस बार छठ (Chhath Puja 2022) की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर से हो रही है. 31 अक्टूबर को इसका समापन होगा. शुक्रवार से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हुआ. छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. शनिवार को दूसरे दिन शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण कर उपवास शुरू करेंगे.

रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत संपन्न होगा. चार दिवसीय छठ पर्व में सूर्य देव की पत्नी (ऊषा) माता छठी की पूजा की जाती है. सूर्य देवता की पूजा का महत्व पुराणों में निकलता है.

छठ पूजा का पहला दिन

नहाय- खाए- 28 अक्टूबर 2022

दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह (Chhath Puja 2022) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है. 28 अक्टूबर 2022 से छठ पूजा का आरंभ होगा. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है.

दूसरा दिन

खरना- 29 अक्टूबर 2022

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं. इस दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है.

तीसरा दिन

डूबते सूर्य को अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा (Chhath Puja 2022) की मुख्य तिथि होती है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं.

सूर्यास्‍त का समय: शाम 5 बजकर 37 मिनट.

चौथा दिन

उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022

चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल (Chhath Puja 2022) सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.

सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर

ये भी पढ़ें- Aaj Ka Rashifal: आज से छठ पूजा शुरू, इन जातकों को करना होगा ये काम, बरसेगी छठी मैया की कृपा

छठ पूजा पर मुंबई से घर जाने का इंतजार कर रहे यूपी और बिहार के यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है. भारतीय रेलवे ने छठ पूजा के लिए 256 स्पेशल ट्रेन चलाने का ऐलान किया है. यह ट्रेनें महाराष्ट्र के अलग-अलग रेलवे स्टेशनों से चलेंगी. केंद्रीय रेलमंत्री अश्र्विनी वैष्णव ने बताया कि छठ पूजा के लिए हमने 250 से अधिक ट्रेनें शुरू की हैं. लगभग 1.4 लाख बर्थ उपलब्ध कराए गए हैं.

राजधानी नई दिल्ली में यमुना नदी से सामने आई तस्वीरों में घाटों के किनारे पर जहरीले झाग में महिलाएं छठ पर्व मनाती नजर आईं. छठ पर्व पर यमुना में जहरीले झागों को लेकर भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है.

ये पर्व चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त किया जाता है। छठ पूजा को तभी सफल और पूर्ण माना जाता है, जब छठ माता की आरती की जाती है।

छठ मईया की आरती

जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।

सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

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