UP Latest Political Update: अगर मायावती ने दलित और मुस्लिम वोटरों को साध लिया तो दोनों गठबंधन की बढ़ेगी मुश्किलें
UP Latest Political Update: यूपी का खेल इस बार कोई आसान नहीं है। एक तरफ एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच घमासान है। तो दूसरी तरफ निर्गुट होकर चुनावी मैदान में खड़ी बसपा ने सभी का समीकरण बिगड़ना शुरू कर दिया है। सच तो यही है कि मायावती का वोट बैंक भले ही कम हुआ है लेकिन आज भी उसके साथ दलित और मुसलमानो का कोर वोट बैंक जुड़ा हुआ है। इस बार भी मायावती हर हाल में अपने कोर वोट बैंक को बचाने और उसे और बढ़ाने की तैयारी में है। अगर मायावती की पहल से उनका कोर वोट बैंक उनके साथ खड़ा रहता है तो निश्चित रूप से सपा ,कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है।
तीसरे चरण के चुनाव पर सबकी नजरें है। पहले के दो चरण के चुनाव में मतदान तो कम हुए हैं लेकिन इस तीसरे चरण के मतदान में मतदान प्रतिशत के बढ़ने की सम्भावना है। सभी पार्टियां भी इसी जुगत में लगी हुई है कि तीसरे चरण के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढे। हालांकि मतदाता के मन में क्या है यह कोई नहीं जानता। पिछले दो चरण के चुनावी मत प्रतिशत से पार्टियों को तो निराश किया ही है सबसे ज्यादा निराश बीजेपी को होना पड़ा है। यही वजह है कि दो चरण के चुनावो को लेकर बीजेपी के बारे में कई तरह की बाते भी कही जा रही है।
अब सबकी नजर सात तारीख को होने वाले तीसरे चरण के मतदान पर है। मायावती इस तीसरे चरण के चुनाव में पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रही है। मायवती की कोशिश यही है कि वह भले ही जीते या नहीं जीते लेकिन उसका दलित और मुस्लिम कोर वोट बैंक बसपा के साथ कहड़ा रहे। मायावती इसके लिए काफी प्रयास भी कर रही है। वह अपने हर दलित और मुस्लिम नेताओं को सजग कर दिया है और कहा है कि यह चुनाव जीवन और मरण का चुनाव है और इस चुनाव में अगर पार्टी को बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं तो संभव है पार्टी के लिए आगे का भविष्य भी ख़राब हो सकता है। कई जानकार भी मान रहे हैं कि इस चुनाव में सबसे ज्यादा दाव किसी पार्टी का लगा हुआ है तो वह है बसपा।
पिछले चुनाव में बसपा का सपा के साथ गठबंधन था और बसपा को दस सीटें जितने में सफल हो गई थी। हालांकि सपा को पांच सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी लेकिन बसपा को काफी लाभ हुआ था। इधर इस चुनाव में बीजेपी की जिस तरह से घेराबंदी है उसमे बसपा अपना लाभ निहार रही रही है। उसे लग रहा है कि कुछ सीटों पर दलित और मुस्लिम वोटर ही उनके साथ खड़े हो जकाये तो खेल कुछ और हो सकता है और बीजेपी के साथ ही कांग्रेस और सपा के कई उम्मीदवारों को हराया जा सकता है। बीजेपी बसपा के इस खेल से काफी परेशान है। बीजेपी को लग रहा है कि बसपा के लोग यानी उसके कोर वोटर अगर इस बार बसपा के साथ चले गए तो बीजेपी का सपना पूरा नहीं हो सकता। बीजेपी इस बार सूबे की सभी 80 सीटों पर जीत का दावा कर रही है लेकिन इंडिया गठबंधन के साथ ही बसपा की राजनीति के सामने बीजेपी को कई सीटों पर चुनौती भी मिल रही है।
बसपा आने पुराने जनाधार को पाने के लिए खूब मेहनत कर रही है। हालांकि जिस तरह की राजनीति दिख रही है ऐसे में बसपा को कोई बड़ा लाभ होगा इसकी सम्भावना कम ही है है लेकिन अगर बसपा का कोर वोट इस बार उसके साथ खड़ा हुआ तो बीजेपी के साथ ही सपा की राजनीति भी कुंद हो सकती है।
यह भी सच है कि 2009 के चुनाव में बसपा को 27 वोट मिले थे लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में उसके मत प्रतिशत गिरते चले गए। 2019 के चुनाव में तो बसपा को दस सीट मिलने में सफलता मिली थी।
बसपा की नजर इस बार जिन सीटों पर खास तौर पर है उनमे शामिल है नगीना ,जौनपुर ,अलीगढ ,फतेहपुर ,खीरी और उन्नाव। ये सीटें इस बार बीजेपी के लिए भी काफी महत्व की है। ऐसे में बीजेपी की परेशानी काफी बढ़ी हुई है।