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नए संसद भवन को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में क्यों जारी है तकरार ?

अभी दो दिन पहले ही नए संसद भवन में संसद का विशेष सत्र चार दिनों के लिए चला। कई बिल पास किये गए और सबसे अहम बिल महिला आरक्षण वाला भी पास हो गया। आजाद भारत की यह बड़ी खबर थी। करीब ढाई दशक से महिला आरक्षण की मांग की जा रही थी। कई सरकार ने इसे पास कराने की जहमत भी उठाई लेकिन सफल नहीं हो पाई। बीजेपी पहले इस बिल का विरोध कर रही थी और अब अचानक वह इसे पास कराने में सफल हो गई। संसद के विशेष सत्र से पहले इस बिल को लेकर कोई सोंच भी नहीं सकता था कि मोदी सरकार ऐसा भी कुछ कर सकती है। लेकिन हुआ तो ऐसा ही।

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दरअसल बीजेपी की परेशानी यह है कि इधर कई राजनीतिक घटनाएं बीजेपी को परेशान किये हुए है। बड़ी परेशानी तो विपक्षी गठबंधन को लेकर है। बीजेपी जो कुछ भी कहती लेकिन सच्चाई यही है कि बीजेपी के बड़े नेताओं को नींद नहीं आ रही है। बीजेपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि अगर सत्ता चली गई तो उसकी भी वही हालत होगी जो अभी वह दूसरी पार्टियों की करती आ रही है। .लेकिन मामला सिर्फ इतना भर तक ही नहीं है। बीजेपी को यह भी लग रहा है कि सत्ता के चले जाने के साथ ही उसकी बड़ी -बड़ी पोल भी खुलेंगी और फिर न जाने कितने नेता जेलक जाएंगे कोई नहीं जनता। बीजेपी की चिंता इस बात को लेकर भी है कि पार्टी भी खंडित हो सकती है। बीजेपी के रणनीतिकारों को यह भी पता है कि इस पार्टी के अधिकतर नेताओं को इस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। वे सब पार्टी के नाम पर लाभ कमा रहे हैं और ऐसे भी पार्टी से निकल सकते हैं। और निकलेंगे ही। कह सकते हैं कि 2024 के चुनाव में बीजेपी की ही ज्याद चुनौती है। विपक्ष को अगर सत्ता मिल जाती है तो बढ़िया है और नहीं मिलती तो सबसे ज्यादा परेशान कांग्रेस हो सकती है। कांग्रेस बचेगी भी या नहीं यह भी कोई नहीं जानता।
बीजेपी की बड़ी परेशानी नीतीश कुमार की जातिगत जनगणना को लेकर भी है। बीजेपी जान रही है कि जिस दिन जातिगत जनगणना सामने आएगा उस दिन बिहार और देश में क्या होगा कोई नहीं जानता ? जिस तरह से राहुल समेत विपक्ष के तमाम नेता जातिगत जनगणना की मांग करने लगे हैं यह कोई मामूली बात नहीं। बीजेपी के सभी बड़े नेता जानते हैं जातिगत जनगणना की मांग को अब कोई रोक नहीं सकता। यही वजह है कि जो बीजेपी कल तक महिला आरक्षण की मांग के खिलाफ आवाज उठती रही है वह अचानक चुनाव से चंद महीने पहले ही इस बिल को पास करा लिए। वह भी नए संसद भवन में। जान लीजिये यह सब महिला आरक्षण को पास करने का खेल नहीं है। खेल तो यह है कि बिहार की जातिगत जनगणना की काट के लिए महिला आरक्षण बिल को पास करना बीजेपी की मज़बूरी थी। यह मज़बूरी अब जातिगत जनगणना को लेकर आगे भी रहेगी।

खैर विपक्ष ने नेता भी संसद के चार दिवसीय सत्र में हिस्सा लेने नए संसद भवन पहुंचे। जब इस भवन का उद्घाटन हो रहा था तो विपक्षी नेताओं ने उस समारोह का बायकाट किया था। लेकिन जैसे ही विपक्ष के नातों ने नए संसद किया तो उन्हें समझ में आ कि नए संसद भवन की असलियत क्या है। याद रखिये संसद का यह विशेष सत्र पांच दिनों के लिए बुलाये गए थे लेकिन चले चार दिन ही। यह तो सरकार से पूछा जाना चाहिए कि पांच दिनों का संसद चार दिनों में ही क्यों ख़त्म की जा रही है ? मान भी लिया जाए कि सरकार का अजेंडा चार दिनों के भीतर ही पूरा हो गया हो तो क्या सरकार को देश की अन्य समस्या के बारे में एक दिन और बात नहीं करनी चाहिए? मणिपुर पर ही चर्चा कर लेते। बेकारी और गरीबी के साथ ही महंगाई पर ही चर्चा कर लेते ! लेकिन नहीं ! सरकार घिरना नहीं चाहती।

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खैर संसद को घूमकर बाहर आये कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने आज संसद भवन को मोदी मल्टीप्लेक्स करार दिया। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि 2024 में जब सत्ता बदलेगी तो संसद भवन की नई ईमारत का बेहतर इस्तेमाल किया जायेगा। जयराम रमेश के इस ब्यान के बाद बीजेपी पलटवार करने लगी है। बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने कहा है कि कांग्रेस के निम्नतर स्तर के मुकाबले भी ये बेहद ख़राब मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने भारतियों का अपमान करार दिया।
बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि मेरी मांग है कि पुरे भारत में राजवंशों के गढ़ों का मूलयांकन करने की जरूरत है। इसकी शुरुआत एक सफदरजंग रोड काम्प्लेक्स को तुरंत भारत सरकार को सौपने के साथ होनी चाहिए। ऐसा इस बात को ध्यान में रखकर होना चाहिए सभी प्रधानमंत्रियों को अब पीएम संग्रहालय में जगह दी गई है। बता दें कि एक सफदरजंग रोड पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का निवास स्थान है। जहाँ पर वर्तमान में इंदिरा गाँधी मेमोरियल म्यूजियम मौजूद है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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