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क्या चंबल फिर से सक्रिय हो रहा है ?

Agra News: पिछले एक दशक से चंबल में किसी डाकू के न होने की बात कही जा रही है। कहा जाता है कि चंबल अब फ्री हो गया है। यह दस्यु फ्री जॉन हो गया है। यह भी कहा जाता है कि अब यह इलाका पर्यटकों का केंद्र बन रहा है। लोग यहां घूमने आते हैं। चंबल अब बदल गया। चंबल का बागी तेवर खत्म हो गया। इसी तरह को और भी कई बाते कही जाती है। जनता भी खुश और सरकार मस्त। लेकिन आगरा पिनाहट थाने से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक चंबल फिर से जाग रहा है।

चंबल का बिगड़ फिर से आबाद हो रहा है। यहां आज भी बागी मौजूद हैं और अपने वजूद की तलाश कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक पिनाहट थाने के एक गांव के लोगों ने को देखा सबको अचंभित कर दिया है। एक आदमी दिन के उजाले में चंबल के बीहड़ में लकड़ी के जुगाड़ में गया। करीब एक किमी भीतर जाने के बाद वह डाकुओं के ट्रैप में आ गया। 15 लोगों के एक गिरोह ने उसे घेरा। पूछताछ की और फिर पिटाई भी की। उस गिरोह में चार महिला डाकू भी थी। सभी आधुनिक हथियार से लैस थे और जय मां भवानी के नारे भी लगा रहे थे।

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घायल आदमी अपने है पहुंचा और इसकी सूचना थाने को दी। सूचना मिलते जी पुलिस को गाड़ी बीहड़ में घुसी। पुलिस ने घंटो तक छान बीन की और खाली हाथ वापस लौट है। उसे कुछ भी हाथ नही लगा। किसी से मुलाकात भी नही हुई। लेकिन अब आगरा की पुलिस अलर्ट हो गई है। पुलिस को अब इस बात की आशंका हो गई है कि चंबल फिर से सक्रिय हो रहा है। आज एक गिरोह खड़ा हुआ है फिर कई और गिरोह भी खड़े हो सकते हैं। और फिर एक बार चंबल डाकुओं का शरण स्थली बन जायेगा। चंबल लंबे समय से डाकुओं और दस्युओं का घर रहा है।

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यहां आने वाले सभी डाकू खुद को बागी मानते है एक से बढ़कर एक डाकुओं ने देश और दुनिया में अपने कारनामे को छाप छोड़ी है। की डाकुओं पर फिल्म भी बनी। मोहर सिंह ,माधो सिंह मलखान सिंह ,पुतली बाई ,फूलन देवी ,कुसमा नाइन ,सीमा परिहार ,रेनू यादव और निर्भय गुज्जर जैसे कुख्यात डाकुओं से यह चंबल कभी कांप उठता था। यह बात और है कि बीते कुछ सालों में चंबल के कई इलाकों में काफी विकास के काम हुए है मबागियों ने आत्मसमर्पण भी किया। सरकार ने उनके लिए की योजनाएं भी चलाई। चंबल साफ हुआ। चंबल को बदनामी कम हुई। लेकिन जिस तरह से चंबल में फिर से गिरोह देखे गए है उससे साफ है कि अगर समाज को फिर से व्यवस्थित नही किया गाय और किसी के साथ कानूनी इंसाफ नहीं मिलेंगे तो चंबल एक बार फिर से जाग उठेगा। और ऐसा हुआ तो देश के लिए फिर से एक मुसीबत खड़ी हो जायेगी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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