उत्तर प्रदेशन्यूज़राजनीतिराज्य-शहर

बसपा इंडिया गठबंधन में जाएगी या नहीं लेकिन सपा और कांग्रेस में रार जारी!

India Alliance News SP and SBP: सामने लोकसभा चुनाव है और राजनीतिक दलों की पैंतरेबाजी जारी है। फिलहाल देश की राजनीति दो ध्रुवों में बंटी दिख रही है लेकिन कुछ दल अभी भी ऐसे हैं जो निर्गुट में हैं। वे किसी के साथ नहीं। किसी गठबंधन में नहीं। लेकिन इन दलों की अपनी राजनीतिक जमीन है और संसदीय राजनीति में अपनी पकड़ भी। जो निर्गुट दल है उनमे शामिल है बसपा ,बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश में सरकार चला रहे जगन रेड्डी। बीजू जनता दल के मुखिया नविन पटनायक ओडिशा की सरकार लम्बे समय से चल रहे हैं। आंध्रा में जगन की सरकार दो टर्म से चल रही है और यूपी में मायावती की पार्टी बसपा भले ही अभी सत्ता से अलग है लेकिन उसकी अपनी ताकत है। दलितों का बड़ा वोट बैंक और मुसलमानो की बड़ी सहभागिता आज भी बसपा के साथ है। लेकिन ये तीनो पार्टियां किसी भी गठबंधन में नहीं है। वैसे इस सूची में आप केसीआर को भी रख सकते हैं। अभी हाल में ही केसीआर की तेलंगाना में हार हुई है और कांग्रेस की वहां सरकार बनी है। कुल मिलकर चार पार्टियां अभी निर्गुट दल के रूप में सामने हैं।
लेकिन चर्चा में बसपा। मायावती इस पार्टी की मुखिया है। इस पार्टी का जनाधार कमोबेस तो कई राज्यों में है लेकिन यूपी में मायावती अपने दम पर कई बार सरकार चला चुकी है। हालांकि अभी वह काफी कमजोर हुई है। बसपा की राजनीति पहले की अपेक्षा काफी कमजोर हुई है।


पिछले कुछ महीने से इस बात की चर्चा होती है कि मायावती इंडिया गठबंधन से जुड़ सकती है। हालांकि अभी तक मायावती का दावा तो यही रहा है कि वह किसी भी गठबंधन के साथ नहीं जाएगी। वह न तो इंडिया गठबंधन के साथ जाएगी और न ही एनडीए के साथ ही। इस बारे में उनके कई बयान समय -समय पर आते रहे हैं। लेकिन जबसे इंडिया गठबंधन की बैठक दिल्ली में हुई है तभी से बसपा को लेकर कई खबरे आ रही है। बता दें कि बसपा को लेकर सपा नेता रामगोपाल यादव ने भी इंडिया गठबंधन की बैठक में खड़गे से बात की थी। लेकिन खड़गे ने साफ़ कह दिया था कि यूपी में वह सपा और रालोद के साथ ही आगे की राजनीति करेगी। बसपा के साथ कोई बात नहीं चल रही है।
लेकिन राजनीति में बयानों के कई मायने होते हैं और बयानों पर कोई यकीन भी नहीं करता। देश की राजनीति जिस तरह से बदल रही है उसमे किसी के बयान का कोई मतलब नहीं रह जाता। सामने से कुछ कहा जाता है जबकि पीछे से कुछ और ही चलता रहता है। ऐसे में इस बात की ज्यादा सम्भावना है कि लोकसभा चुनाव की तारीख जैसे -जैसे नजदीक आएगी देश की राजनीति बदलेगी और गठबंधन का स्वरूप भी बदलेगा। बसपा इंडिया गठबंधन के साथ आएगी या नहीं इस पर कोई दावा तो नहीं किया जा सकता लेकिन बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी इसका भी कोई दावा नहीं है। मयावती जो बोलती रही है वह भी सच नहीं है। समय आने पर वह भी अपना दाव खेल सकती है। या तो वह इधर आएगी या उधर जाएगी। हर पार्टी वाले अपने लाभ -हानि का आंकलन कर रहे हैं और मकसद सिर्फ एक ही है कि किसी भी तरह से अधिक सीटों पर जीत हासिल की जाए।
दरअसल मायावती ने पिछले दिनों एक बयान दिया था जिसमे कहा था कि किसी को भी किसी के बारे में ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो बाद में शर्मिंदगी का कारण बने। राजनीति में कभी भी किसी के साथ की जरूरत होती है ऐसे में कुछ भी कहने से पहले सोंचना चाहिए। मायावती के इसी बयान के बाद इस बात की चर्चा होने लगी कि मायावती इंडिया गठबंधन में जा सकती है।


यह बात जरूर है कि कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि बसपा को भी गठबंधन में आना चाहिए। इसके पीछे का तर्क यह है कि बसपा का यूपी में अभी भी अपना वजूद है और वोट बैंक भी। कांग्रेस को लगता है कि बसपा को साथ लेकर बीजेपी को सम्मिलित रूप से हराया जा सकता है। लेकिन सपा की अपनी अपनी राजनीति है। अभी पिछले कुछ सालों से सपा और बसपा के बीच की तल्खी बढ़ी हुई है। सपा किसी भी सूरत में बसपा से बातचीत नहीं चाहती और न ही यूपी में उसके साथ गठबंधन ही चाहती है। सपा का यह भी कहना है कि कांग्रेस को अगर बसपा के साथ गठबंधन करना ही है तो वह यूपी से अलग दूसरे राज्यों में कर सकती है।
कहानी यही तक की है। आगे बसपा क्या कुछ करती है इसे देखना होगा। लेकिन कांग्रेस की नजर आज भी बसपा पर है। कांग्रेस को लग रहा है कि बसपा के साथ मिलकर दलित ,पिछड़ों और मुसलमानो का बड़ा गठजोड़ तैयार हो सकता है और इस गठजोड़ में कांग्रेस को भी लाभ मिल सकता है। आगे क्या कुछ होगा इसे देखने की जरूरत है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

Show More

Akhilesh Akhil

Political Editor

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button