Latest News on Parliament! संसद का आज सातवां दिन भी बेकाम रहा। संसद में काम तो वैसे भी लम्बे समय से नहीं हो रहा। बजट पेश होने के बाद से संसद लगभग ठप है। मानक के हिसाब से संसद की कार्यवाही नहीं चलती और पक्ष -विपक्ष के हंगामे के बीच जनता के मुद्दों की बलि चढ़ जाती है। बजट सत्र के दूसरे चरण का आज सातवां दिन भी संसद ठप ही रहा। इसका जवाब कौन देगा ? क्या सरकार में शामिल सांसद नेता इसकी भरपाई करेंगे या फिर विपक्ष वाली पार्टियां इसका कोई जवाब देगी ?
लोकसभा सचिवालय की एक रिपोर्ट बताती है कि सदन चलाने में प्रति घंटे एक करोड़ 60 लाख रुपये खर्च आते हैं। हालांकि ये आंकड़े पिछले साल के ही हैं अब मान कर चल सकते हैं कि इस खर्च में और भी इजाफा हुआ होगा। लेकिन पिछले आंकड़े हो ही माने तो एक दिन खर्च खर्च करीब करोड़ का होता है। और हर मिनट के हिसाब से कोई ढाई लाख। पिछले एक सप्ताह से संसद ठप है ऐसे में अभी तक करीब 70 करोड़ का चुना तो संसद चलने के नाम पर लग चुका है। क्या सरकार इस पर कोई बात करेगी ? यह सवाल सरकार से इसलिए कि संसद चलाने की जिम्मेदारी उसी की होती है। हालांकि विपक्षी भी कम जिम्मेदार नहीं।
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अब बात आज की। आज मंगलवार को उम्मीद थी कि संसद चलेगी। लेकिन संभव नहीं हुआ। उम्मीद थी कि राहुल गाँधी अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देंगे लेकिन संभव नहीं हुआ। संसद की शुरुआत हुई और हंगामे की वजह से बंद हो गई। पहले दो पहर तक के लिए स्थगित हुई फिर दिन भर के लिए। इसी बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सर्वदलीय बैठक भी की लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। सत्ता पक्ष के लोगों को राहुल गाँधी से माफ़ी चाहिए और विपक्ष को अडानी मसले पर जीपीसी की मांग चाहिए। कैसे बात बनती। जिद्द को भला कौन शांत करेगा। बच्चो की जिद्द को तो लालच देकर तोड़ा भी जा सकता है लेकिन बूढ़े और चालक नेताओं को कैसे ठगा जाए ? जिसकी नस -नस में राजनीतिक खून बहते हो उसे भला कौन मन सकता है। राजनीतिक खून की गर्मी जब ठंढा होगी तभी कोई बात बनेगी। तबतक देश का कबाड़ा निकल जाएगा। चुनाव सामने आएगा। सब चुनाव में निकल जायेंगे ,संसद मौन हो जाएगी। संसद की दूसरी मंजिल पर आज विपक्षी नेताओं की बैठक हुई। टीएमसी छोड़कर अधिकतर विपक्षी पार्टियों के नेता बैठक में शामिल हुए। फिर प्रदर्शन की बारी आयी। विपक्षी दलों ने जी भर कर प्रदर्शन किया कर भाँती -भाँती के नारे भी लगाए। एक बड़ा बैनर विपक्षी दलों ने संसद भवन के पहली मंजिल पर लटका दिया। जिस पर अडानी मामले की जाँच जेपीसी से करने की मांग दुहराई गई। सांसदों के हाथों में तख्तियां भी थी। लिखा था -मोदानी हमें जेपीसी चाहिए। मोदी -अडानी भाई -भाई ,देश बेचकर खाई मलाई —
बाद में जयराम रमेश ने कि संसद की शुरुआत होते ही राज्य सभा में सभापति में मलिकार्जुन खड़गे को बोलने की अनुमति दी। वे बोलने उठे तो बीजेपी के सांसदों ने हल्ला करना शुरू कर दिया। नारेबाजी शुरू कर दी। उन्हें बोलने नहीं दिया गया। फिर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हमें जेपीसी से कम कुछ भी नहीं चाहिए। अडानी मामले का हम पर्दाफास करके ही रहेंगे।