राजनीति( Politics) कब करवट बदले यह कौन जानता है। एक तरफ बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की कहानी आगे बढ़ रही है वही महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार की शिंदे और फडणवीस से मुलाकात को लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है। कल बुधवार को अजित पवार एक घंटे तक देवेंद्र और शिंदे से मिले। यह मुलाकात किस बात को लेकर हुई है अभी तक खुलासा नहीं हुआ है लेकिन कहा जा रहा है कि महाआघाडी के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। जानकार कह रहे कि अगर अजित पवार कोई स्टेप लेते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति पर इसका प्रभाव पडेगा और विपक्षी एकता की कहानी पर इसका विपरीत असर भी पड़ेगा। पिछले कुछ समय से शरद पवार के भी बोल बदले हैं ऐसे में आगे क्या कुछ हो सकता है इसको लेकर कांग्रेस सतर्क हो गई है।
शिंदे और फडणवीस से अजित पवार की मुलाकात के मायने जो भी हो लेकिन एनसीपी के बयान से बहुत कुछ होने का पता चलता है। अडानी मसले पर जिस तरह से शरद पवार ने बयान दिए थे ,विपक्ष को आश्चर्य में दाल दिया था। पवार ने जेपीसी की मांग को बेकार बताया था। शरद दिनों अडानी का समर्थन भी किया था। इसके बाद अजित पवार ने मोदी की डिग्री को लेकर कुछ अलग तरह का बयान दिया था।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर शरद पवार ने कहा था कि इस रिपोर्ट पर लोग जरूरत से ज्यादा महत्व दे रहे हैं लेकिन उस कंपनी की साख क्या है इस पर कोई बात नहीं कर रहा है। पवार ने यह भी कहा था कि मामले के कई पक्ष हैं लेकिन हम केवल एक पक्ष को ही देख रहे हैं। इससे देश को नुकसान हो रहा है। पवार ने यह भी कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच कर रही है तब जेपीसी की क्या जरूरत है ? इसके बाद शरद पवार की काफी आलोचना भी की गई लेकिन बाद पवार ने अपने इस बयान में थोड़ा संशोधन भी किया और कहा कि वे विपक्ष के साथ हैं और जेपीसी की मांग का वे विरोध नहीं करते हैं।
लेकिन असली सवाल है कि अजित पवार ने शिंदे और फडणवीस से क्यों मुलाकात की है ? कहा जा रहा है कि एमएससीबी घोटाले में अजित पवार और उनकी पत्नी का नाम है लेकिन उनके खिलाफ अभी तक ईडी ने चार्जशीट भी दाखिल नहीं किया है। इसके पीछे की क्या कहानी है अभी तक किसी की समझ में नहीं आ रही है। इस घोटाले में ईडी ने एक कंपनी की संपत्ति को कुर्क किया था जिसमे अजित पवार और उनकी पत्नी शेयर धारक हैं। चार्जशीट से अजित पवार और उनकी पत्नी का नाम हटाए जाने पर संजय राउत ने सवाल भी खड़ा किया है। संजय राउत ने कहा है कि इसका मतलब साफ़ है कि बीजेपी ईडी और सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर रही है। पहले जांच की ,परेशान किया। छापेमारी की और और अब चार्जशीट में में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है। जाहिर है कि सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
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कहने वाले कह रहे हैं कि अजित पवार कई मामले ने जांच के घेरे में हैं। और यही वजह है कि बीजेपी और शिंदे के लोग उन पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन अभी तक शरद पवार चुप हैं। इसके राजनीतिक मायने क्या हैं आप खुद समझ सकते हैं।