Kalawa Benefits : सुरक्षा कवच होता है मौली का धागा , ऐसा होना चाहिए कलावे का रंग
Kalawa Thread Benefits - NWI
Health Benefits of Tying Mauli! हिंदू धर्म में मौली के धागे (kalawa) का खास महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र की माने तो मौली (kalawa) के कच्चे धागे भी अदृश्य कवच की तरह व्यक्ति की सुरक्षा करते हैं। आइए जानते हैं कौनसे रंग के मौली के धागे आपके लिए लाभकारी रहेंगे।
मनुष्य अपनी रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करता है। एक तरफ जहां धातुओं से बना कवच व्यक्ति की रक्षा करता है वहीं दूसरी तरफ मंत्रों की शक्ति और अध्यात्म-हिंदू संस्कृति की मानें तो कुछ मंत्रों के उच्चारण करके बांधने से कच्चे धागे भी अदृश्य की प्रकार मनुष्य की रक्षा करते हैं कवच. नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा (kalawa Benefits ) के लिए भी यह धागे कारगर सिद्ध होते हैं। कच्चे सूत से तैयार किया यह धागा कलावा, कलाईनारा, मौली आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है जिसमें कई रंगों का समावेश होता है, मगर मुख्यतः लाल और पीला रंग अधिकतम दिखाई देता है। प्रत्येक मांगलिक कार्य में इसलिए इन शुभ रंगों को संजोए कलावे का प्रयोग आवश्यक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक लाल रंग का संबंध मुख्यतः सूर्य और मंगल ग्रह से है और पीला रंग देवताओं के गुरु देवगुरू बृहस्पति का प्रतीक है। बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह है।
मौली बांधने से एक तरफ ज्ञान बढ़ता है तो दूसरी तरफ साहस, आत्मविश्वास और पराक्रम में वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि जिस भी देवता की पूजा करके यह कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है। उस देवी-देवता की अदृश्य ऊर्जा शक्ति धागों में समाहित होकर मनुष्य की मनोकामना पूर्ण करने के साथ रक्षा करती हैं। सदियों से माना जाता है कि कलाई पर कलावा बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है और ग्रह अनुकूल होते हैं। कलावे को बांधने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, शरीर के कई प्रमुख अंगों तक जाने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर मौली या कलावा बांधने से इन नसों की कार्यप्रणाली नियंत्रित रहती है। एक्यूप्रेशर की तरह कलाई पर इन धागों के दबाव से त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का सामंजस्य बना रहता है और कई तरह के रोग ठीक होने लगते हैं।
कलावा बंधवाते समय आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और आपका दूसरा हाथ सिर पर रखा होना चाहिए। नवरात्रि, दीपावली आदि विशेष पर्वों पर पुराने कलाईनारे के स्थान पर नया कलाईनार अवश्य धारण करना चाहिए। कलावे को केवल हाथ की कलाई पर ही नहीं, बल्कि गले, कमर में भी बांधा जाता है। वाहन, बही-खाता, मेन गेट, चाबी के छल्ले और तिजोरी पर पवित्र मौली बांधने से लाभ होता है। मौली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखने से नई खुशियां आती हैं। जिन घरों में भूत-प्रेत अथवा किसी भी प्रकार की उपरी बाधा हो, वहां कलाईनारे में सुपारी, लौंग, इलायची अभिमंत्रित कर शुभ मुहूर्त में बांधी जाती है ताकि नकारात्मक उर्जा वहां से कोसों दूर रहे। कलावे को मंत्र पढ़कर कलाई में बांधने से यह सूत्र त्रिदेवों और त्रिशक्तियों को समर्पित होकर धारण करने वाले प्राणी की सब प्रकार से रक्षा होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधे थे। शास्त्रों के अनुसार मौली बांधने से त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों देवियों, लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा बरसती है।