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जानिए इन छह राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर कैसी है इंडिया गठबंधन की चुनौतियां ?

Indian Alliance Meeting: इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक पिछले दिनों दिल्ली में समाप्त हो गई । अच्छी बात यही रही की अभी भी गठबंधन को लेकर सबकी रेस एक है और मजबूत भी । खराब बात यह है कि बैठक में ममता बनर्जी ने पीएम उम्मीदवार के नाम की घोषणा की तो कई लोग नाराज भी हुए और दुखी भी । नाराज और दुखी नेताओं में सबसे ज्यादा नीतीश कुमार को शामिल किया जा रहा है । हालाकि जदयू की तरफ से कहा गया है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक चल रहा है और कोई नाराजगी नही है । लेकिन जिस तरह से जदयू अचानक पार्टी परिषद की बैठक करने जा रही है उससे लग रहा है कि नीतीश कुमार को कुछ परेशानी जरूर है । नीतीश कुमार खुद संयोजक बनाना चाहते थे और बिहार में तो उनकी पार्टी उन्हे पीएम के रूप में प्रोजेक्ट कर रही थी । ऐसे में जदयू के भीतर कुछ न कुछ तो चल ही रहा है । हालाकि इंडिया गठबंधन ने आगे क्या होगा यह कोई नहींजनता । अभी सबकी निगाह सीट बंटवारे पर लगी हुई है ।


सबसे ज्यादा चुनौती छह राज्यों में सीट बंटवारे की है । इन राज्यों में कांग्रेस भेज ही कमजोर है या ना के बराबर है लेकिन इन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां काफी मजबूत है और इनका मुकाबला बीजेपी से है । इनकी हर होतिभाई तो बीजेपी से और जीत होती है तो बीजेपी से । लेकिन यह भी सच है कि अगर इन छह राज्यों ने सीटों का बंटवारा सही तरीके से होता है तो बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है । और यही इंडिया की ताकत होगी । इसके साथ ही एक दो राज्य और भी है जहां सीट बंटवारे की जरूरत तो है लेकिन उसमे कोई लोचा नही है ।
सीट बंटवारे की समस्या बंगाल ,बिहार , यूपी ,महाराष्ट्र ,दिल्ली और पंजाब में है । इन छह राज्यों में लोकसभा की 230 सीटें है ।अभी बीजेपी के पास 129 सीटें है जबकि उसकी सहयोगी पार्टी के पास 20 सीटें है ।यानी 149 सीट एनडीए के पास है । सबसे ज्यादा इंडिया ब्लॉक में सीट का बंटवारा बिहार और महाराष्ट्र में है महाराष्ट्र में पहले एनसीपी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते थे लेकिन अब इसमें शिवसेना भी शामिल है । शिवसेना दो गुटों में बंट गई है ।उधर एनसीपी भी दो गुटों में बंटी हुई है । यह सीट बंटवारे में बड़ी समस्या होगी । लेकिन इसे सुलझाया जा सकता है ।


बिहार में भी यही हाल है । वहा आरजेडी और जेडीयू के बीच पहले गठबंधन था लेकिन अब उसमे 6 दल पहले से शामिल है ।कुछ और पार्टी भी इस गठबंधन में आ सकते हैं । ऐसे में 40 सीटों में बंटवारा कठिन होगा ।
पश्चिम बंगाल का भी यही हाल है । वहां पिछली बार कांग्रेस और वाम दलों ने अलग से चुनाव लडा था । टीएमसी अलग चुनाव लड़ी थी । अगर कांग्रेस , टीएमसी और वाम दल बेहतर रणनीति के साथ चुनाव नही लड़ते है तो बीजेपी को लाभ होगा और बीजेपी इसी ताक में बैठी हुई है । उधर यूपी को समस्या यह है कि सपा और कांग्रेस के बीच अभी मजबूत तालमेल नहीं है ।दोनो के बीच खिंचाव है । कांग्रेस और रालोद ज्यादा सीटें मांग रहे हैं । हो सकता है यूपी में अखिलेश यादव सबको ठीक कर दें ।इधर खड़गे भी सामंजस्य बैठाने को तैयार है । दिल्ली और पंजाब में आप और कांग्रेस के बीच लड़ाई जारी है । दोनो के बीच कितना तालमेल बैठतभाई इसे देखना होगा । दोनो राज्यों में आप की सरकार है ।इसलिए वह ज्यादा सीटें चाहेंगी । दूसरी तरफ इन दोनो राज्यों में कांग्रेस के पास सात सीटें है । जबकि आप के पास कोई सीट नही है ।इसलिए सीट बंटवारे में कोलाहल तो होगा ही ।
यही वजह है कि इन छह राज्यों की मुख्य पार्टियों के बीच एक कमेटी बनी है जो सीट बंटवारे पर विचार करेगी । इस कमेटी में खड़गे ,ममता ,शरद पवार ,नीतीश कुमार ,अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल शामिल हैं । अगर ये सभी बड़े नेता खुले दिल से सीटों पर बात करेंगे तो सब कुछ आसान हो जाएगा ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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