ट्रेंडिंगन्यूज़बड़ी खबर

Mahashivratri 2023: जानिए कहां घटी थी अनादि और अनंत अग्नि स्तंभ की घटना

आज शिवरात्रि है। देश -दुनिया में शिव भक्तो का बड़ा त्यौहार। मंदिर सज गए हैं। भक्तो की कतारे लगी है। हर -हर महादेव से दशो दिशाएँ गूंज रही है। कही ओम नमः शिवाय का जाप जारी है तो कही हर -हर महादेव का जयघोष। पूरा वातावरण शिवमय है। देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंग की शोभा देखते ही बन रही है। हर जगह उनकी कथाये चल रही है। सदाशिव शिव की कथाये भी शिव की अनंत रूपों की तरह ही अनंत है। जो कभी ख़त्म ही नहीं होती। आइये जानते हैं शिव की अनादि और अनंत की कथा

एक बार ब्रह्मा और भगवान् विष्णु में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि दोनों में कौन बड़ा है ,कौन श्रेष्ठ है। लम्बे समय तक विवाद चलता रहा। दोनों ने पहले-अपने तर्क दिए लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। फिर फैसला के लिए दोनों भगवान् सदाशिव शिव के पास पहुंचे। भोले नाथ डॉन को देखकर हंसने लगे। आने का कारण पूछा। सबकुछ जानकार भोले नाथ असमंजस पड़ गए। फिर विवाद का हल निकालने के लिए भगवान शिव साकार से निराकार रूप में प्रकट हुए। शिव का निराकार रूप अग्नि स्तंभ के रूप में नजर आ रहा था।

फिर ब्रह्मा और विष्णु इसके आदि और अंत का पता लगाने के लिए चल पड़े। कई युग गुजर गए। लेकिन शिव के आदि-अंत का पता नहीं चला। जिस स्थान पर यह घटना घटी वह आज अरुणाचल के नाम से जाना जाता है। कई योगो तक ब्रह्मा और विष्णु चलते रहे लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। फिर दोनों भगवान् को अपनी भूल का एहसास हुआ। भगवान् शिव साकार रूप में प्रकट हुए। और कहा कि आप दोनों में बड़ा कोई नहीं। आप दोनों बराबर हैं। इसके बाद शिव ने कहा कि पृथ्वी पर अपने ब्रह्म रूप का बोध कराने के लिए लिंग रूप में प्रकट हुआ इसलिए अब पृथ्वी पर इसी रूप में मेरे ब्रह्म रूप की पूजा होगी। इसकी पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होगी।

यह भी पढ़ें : Mahashivratri:महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़

सबसे पहले शिव रूद्र हुए। उन्ही रूद्र का एक अवतार महेश हैं। उन्हों महेश को महादेव और शंकर .भी कहते हैं। हालांकि शिव उनका नाम नहीं है। रुद्रावतार में से एक भैरव है। शिव से भी बढ़कर सदाशिव की महिमा का वर्णन पुराणों में मिलता है।सदाशिव को ब्रह्मा ,विष्णु और महेश का पिता कहा गया है। सदाशिव की शक्ति को प्रधान प्रकृति कहा गया है। जो बाद में अम्बा के नाम से प्रसिद्ध हुई। उसको प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेव जननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं। पराशक्ति जगत जननी वह देवी नाना प्रकार की गतियों से संपन्न हैं और अनेक प्रकार के अस्त्र शक्ति धारण करती हैं।

news watch india
Team News Watch India

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button