Joshimath: उत्तराखंड में जिस रफ़्तार से बारिश हो रही है उससे पहाड़ों में हलचल बढ़ गई है। लोग डरे हुए हैं। पहाड़ पानी से भर गए हैं और लोग पहाड़ से नीचे आते दिख रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा परेशान जोशीमठ के लोग हो गए हैं। जोशीमठ में फिर से भू-धंसाव जारी है। कहीं जमीन फटती जा रही है तो कहीं दीवारों में दरार पड़ते जा रहे हैं। आलम ये है कि रात में लोग सो भी नहीं पा रहे हैं कई घरों के बाहर ही लोग तम्बू डालकर रह रहे हैं। जोशीमठ (Joshimath) में तेजी से भू -धंसाव की वजह से प्रशासन भी अलर्ट हो गया है।
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि हम पहले से ही आपदा पीड़ित हैं। हमारा घर पहले ही धंस गया है। सरकार ने मुआवजा देने की बात की थी ताकि हम कहीं और आसरा बना सके लेकिन अभी तक हम इन्तजार ही कर रहे हैं। अभी तक कुछ मिला तो नहीं। लेकिन अब जिस तरह से फिर से भू-धंसाव की घटना घट रही है उसके बाद तो हालत और भी ख़राब हो सकते हैं। खबर के मुताबिक इधर कई घरों में दरारें पड़ी है और कई जगहों पर जमीन नीचे खिसक गई है। स्थानीय लोगों ने सरकार के लोगों को सब बता दिया है। सरकार के लोग लगातार इसका निरीक्षण भी कर रहे हैं।
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने पहले ही जोशीमठ (Joshimath)आपदा प्रभावितों के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था और उस प्रस्ताव को सरकार को भेज भी दिया था। इस प्रस्ताव में प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की बात थी। लेकिन अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। प्रभावित परिवार आज भी मुआवजे के इंतज़ार में हैं।
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बता दें कि जोशीमठ (Joshimath) में सात महीने पहले घरों में दरारें बढ़ने का सिलसिला तेजी से बढ़ा था। इसके बाद भू-धसांव होने लगा लगा। बूत से घर नीचे खिसक गए और बहुत से रास्ते और जमीन भी गढ्ढे में तब्दील हो गए। दुनिया भर में इसकी चर्चा हुई। कई तरह के तकनीकी विशेषज्ञ पहुंचे। कई लोगों को यहां से अलग दूर शिफ्ट भी किया गया। एक नया जोशीमठ बनाने की भी तैयारी हुई। फिर यह भी कहा गया कि तकनीक के जरिये भू-धंसाव को रोका भी जायेगा। लेकिन अभी तक इस दिशा में होता कुछ भी नहीं दिख नहीं रहा है। लेकिन एक सच यही है कि जोशीमठ से बहुत से लोग पलायन कर चुके हैं। तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सीएम धामी को कहा था कि प्रभावित लोगों को बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाए। लेकिन अभी ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
आपको यह भी बता दें कि सात महीने पहले जोशीमठ में 868 भवनों में दरारें पड़ गई थीं और कई घर जमींदोज हो गए थे। इसके साथ ही 181 घरों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। जिन घरों में हलकी दरारें थी उनमें आज भी लोग रह रहे थे लेकिन अब उन घरों में अब चौड़ी दरारें पड़ने लगी है और कुछ घरों की जमीन भी धसने लगी है। अब लोग काफी डरे हुए हैं। जिस तरह से पहाड़ाें पर बारिश हो रही है उससे लोगों को यह भय है कि यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।