मथुरा में मोहन भागवत ने दे दिया एक बड़ा संदेश, बोले मंदिर वहीं बनाएंगे…!
Mohan Bhagwat In Mathura:मोहन भागवत हिंदुत्व की आवाज को लगातार बुलंद करने का काम करते हैं, वो लगातार हिंदुओं के लिए लड़ते हैं, अलग अलग मुद्दों पर बेबाकी के साथ अपनी राय रखते हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को मथुरा के फरह में डॉ. मोहन भागवत सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक के द्वारा पहले दीनदयाल गौ विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का लोकार्पण किया। जहां पर परखम गांव में 200 करोड़ रुपए की लागत से ये अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के लिए कई एकड़ जमीन को अधिकरण किया गया है।जहां पर आयोजन समिति के द्वारा मोहन भागवत को अयोध्या के श्री राम मंदिर का मॉडल जोकि गाए के गोबर से बना हुआ भेंट किया। वहीं पंच गव्य को यहां गाय के इलाज में उपयोग किया।वहीं इस केंद्र में चार लैब बनाई गई है और छात्र छात्राओं के लिए यहां गाय पर सोध करने को व्यवस्था और ट्रेनिंग दी जाएगी।
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यहां पर गौ दान पर एक तेली फिल्म का यहां प्रसारण किया वहीं पंच गव्य पर आधारित एक किताब का विमोचन किया गया है। सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा की में जब यहां आया तब मुझे यहां का प्रकल्प आगे बढ़ता ही मिला। दीनदयाल जी की कामना थी की अंतोधय का प्रगति होगी तो देश की प्रगति होगी क्योंकि जो सबसे छोटा है उसे रोजगार और हुनर सिखाने का प्रकल्प लगातार जारी है।गाय का संबंध देश की सब प्रकार की उन्नति से है आर्थिक उन्नति के साथ सब कुछ उन्नति करता है।पर्यावरण के प्रति हमारी सब माता है हमारी गंगा माता है यमुना माता है और गाय माता है यही तुलसी माता है ।हमारे यहां बुजुर्ग कहते है की शाम हो गई पेड़ को हाथ मत लगा पेड़ सो गया है यही परंपरा है ।गाए हमारी माता है ये हमारी चिटी है ।गौ की सेवा करने से ही पर्यावरण बना रहेगा ।हमारे यहां पेंशन के लिए भी जिंदा होने का प्रमाणपत्र देना होता है ।मेरे कॉलेज के समय पूरी के शंकराचार्य गौ हत्या बंद करने के लिए एक दिन का आंदोलन करना पढ़ा और हिंदुओं से ही मुझे गाय के बारे में कई तरह की बातें सुनने को मिली ।आज की देशी गाए की A 2 दूध की मांग बढ़ रही है ।भारत वर्ष का उत्थान जब होता है तब धर्म का उत्थान होता है। भारत के आगे बढ़ते कदम के साथ गाय माता के कदम बढ़ रहे है । जाए से संस्कार और कीटनशांक खाद लेंगे और फायदे की खेती करेंगे ।सारा विश्व हमारा कुतुंभ है और विश्व को उसकी भाषा में ये समझना है और गौ पंच तव्य पर गौ इलाज करने बाला संस्थान खड़ा करना है ।समुद्र मंथन में कई रत्न निकले।
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मोहन भागवत ने आगे कहा कि हम मंदिर बनाएंगे और तीस साल लगे मगर लगातार कुछ न कुछ करते रहे और आज मंदिर बन रहा है ।सब लोग देशी गाए अपने घरों में रखो मगर ऊंची ऊंची बिल्डिंग शहर के बाहर गाय रख सकते है ।चारे की कमी के कारण सड़कों पर नहीं छोड़ना चाहिए क्यों की गाए को माता कहते है तो क्या हम माता पिता को बुजुर्ग होने के कारण सड़कों पर छोड़ देते है ।हमको अपना पुत्र होने का ऋण चुकाना होगा।22 जनवरी को राम लला अपने मंदिर में रहने जायेंगे उसी तरह का आनंद हम गौ पालन करके करेंगे जब विश्व में भी गौ माता की सेवा होगी ।