स्वर्ग से 10 दिनों के लिए धरती पर आती है गंगा , जानें इसके पीछे का रहस्य!
Maa Ganga News in Hindi! हिंदू धर्म के अनुसार गंगा केवल एक नदी नही बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक हैं व्रत-त्योहार के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। वहीं, मंगल कार्यों में गंगाजल का उपयोग करके पूजा अनुष्ठान को सम्पन्न किया जाता है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं गंगा का महत्व-
जो गंगा से सौ योजन दूर खड़ा होकर भी गंगा-गंगा का उच्चारण करता है वह सब पापों से मुक्त हो जाता है, गंगा की महिमा अपरम्पार है, भगवान सूर्य गंगा जी से कहते हैं, कि हे जाह्नवि! जो लोग मेरी किरणों से तपे हुए तुम्हारे जल में स्नान करते हैं वे मेरा मण्डल भेदकर मोक्ष को प्राप्त होते हैं। नारद पुराण के अनुसार, जैसे माता के समान कोई गुरु नहीं है, भगवान विष्णु के समान कोई देवता नहीं है तथा गुरु से बढ़कर कोई तत्व नहीं है, उसी प्रकार गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। गंगा में किया हुआ स्नान महान पुण्यदायक है। कार्तिक और माघ में गंगा का एक हजार स्नान और वैशाख में एक करोड़ नर्मदा स्नान का फल एक बार कुम्भ स्नान के बराबर है।
गंगा जल को पीने का महत्व
गंगा स्नान भगवान विष्णु का सारूप्य देने वाला होता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गंगा में स्नान से माता और पिता की बहुत सी पीढ़ियों का उद्धार होता है। जगत का पालन-पोषण करने वाले भगवान श्री हरि विष्णु गंगा स्नान करने वाले मनुष्य को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं क्योंकि भगवान विष्णु ही द्रव्य रूप से गंगा जी के जल हैं, गंगा संसार रूपी रोग को दूर करने वाली और सम्पूर्ण जगत की जननी है। गंगा जी का जल कहीं से लाया गया हो, ठण्डा हो या गरम, वह सेवन करने पर आमरण किए हुए पापों को हर लेता है। यह बासी होने पर भी त्याज्य नहीं है, गंगा जी के गुण अपरम्पार हैं, इसके गुणों का परिमाण बताने की शक्ति किसी में नहीं है। जो व्यक्ति प्रतिदिन गंगा के तट पर रहता है, सदा गंगा जी का जल पीता है वह पुरुष पूर्व संचित पातकों से मुक्त हो जाता है। वर्णन प्राप्त होता है, अगर प्रतिमास की चतुर्दशी और अष्टमी तिथि को सदा गंगाजी के तट पर निवास किया जाए तो वह उत्तम सिद्धि देने वाला होता है।
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पृथ्वी पर 10 दिनों तक निवास करती है
गंगा जी की महत्ता बताते हुए कहा गया है, ते देशास्ते जनपदास्ते शैलास्तेऽपि चाश्रमाः। येषां भागीरथी पुष्या समीपे वर्तते सदा।। वे देश, वे जनपद, वे पर्वत और वे आश्रम धन्य हैं, जिनके समीप सदा पुण्यसलिला भगवती भागीरथी रहती है। यह नराधम पापियों को भी तार देती है। पुराणों के मुताबिक देवी रूा में गंगाजी कृष्ण पक्ष में षष्ठी से लेकर अमावस्या तक दस दिन पृथ्वी पर निवास करती हैं। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर दस दिन तक वे स्वयं ही पाताल में निवास करती हैं। फिर शुक्ल पक्ष की एकादशी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तक दस दिन स्वर्ग में रहती है।
गंगा की होती है तीन धाराएं
गंगा की 3 धाराएँ हैं- भागीरथी गंगा, पाताल गंगा और आकाश गंगा। पृथ्वी तत्व से जो शक्ति मिलती है वह पाताल गंगा है, जलीय तत्व से वही शक्ति भागीरथी और तेज तत्व से वही आकाश गंगा है। गंगाजी में मध्याह्न काल में स्नान करने से प्रातःकाल की अपेक्षा 10 गुना पुण्य प्राप्त होता है। सायंकाल मे स्नान करने से अनन्त गुना पुण्य मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि ‘ओम् नमो नारायणाय’ इस मंत्र को जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रातकाल 25 बार जप करके गंगाजल पीता है, वह सब पापों से मुक्त, ज्ञानवान तथा निरोगी होता है। गंगा ही ब्राह्मी, नारायणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, जाह्नवी, भागीरथी आदि के नामों से जानी गयी है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति और विकास का रहस्य छिपा है। इसलिए गंगा भारतीय संस्कृति का एक प्रतीक है।