एएसआई सर्वे को लेकर मनोज तिवारी का बड़ा बयान
Manoj Tiwari’s big statement : इन दिनों देश के जानें पहचाने और सबसे अहम मुद्दों में से एक ज्ञानवापी एक बार फिर से चर्चा में है। ज्ञानवापी में एएसआई की सर्वे की मांग को लेकर मामला फिर से गहरा गया है। इस मामले में एक के बाद एक सियासी बयान भी सामने आ रहे हैं। सीएम के बयान के बाद दिल्ली के भाजपा विधायक मनोज तिवारी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि एएसआई सर्वे पर कोई संदेह जताए ये उचित बात नहीं। इस पर क्यों किसी को शक है और क्यों सवाल उठाए जा रहे है। एएसआई पक्षपात नहीं करती है। इसका किसी एक पक्ष से लेन-देन नहीं है। इस सर्वे से एक भरोसे की शुरुआत जरूर हुई है। केंद्र सरकार भी सच के साथ है। एएसआई सर्वे को सभी को स्वीकार करना चाहिए।
जांच में इस तरह से बार-बार बाधा डालना कोई सही बात नहीं है। जांच में सबको सहयोग देना चाहिए। सबको सामने आना चाहिए। साथ ही मनोज तिवारी ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 को हटाने के लिए कहा। ये एक्ट संविधान की मूल भावनाओं के पक्ष में नहीं इसे हटाने की बेहद जरूरत है। जिस तरह से 2200 कानून हटाए गए हैं वैसे इसे भी हटाया जाए। जब इतने कानून हटा दिए गए हैं तो इसे हटाने में क्या दिक्कत है। इससे पहले भी हुए है अब और हो जाएंगे। ये संसद की व्यवस्था है और हम संविधान संशोधन पहले नहीं करेंगे। इसके पहले भी 104 संविधान संशोधन हो चुके हैं, 2-4 और हो जाएंगे।
सीएम योगी का भी आया बयान
इसी बीच मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का एएसआई सर्वे पर बड़ा बयान सामने आया है। सीएम योगी ने मुस्लिम समुदाय को दो टूक जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर हम ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो जाहिर सी बात है कि विवाद होगा। इतना ही नहीं सीएम ने पूछा कि ज्ञानवापी अगर मस्जिद है तो वहां त्रिशूल क्या कर रहा था? हमने तो नहीं रखा है वहां और भी देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं। ये सारी चीजें इस बात की साक्ष्य हैं। आज ज्ञानवापी की दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर कह क्या रही हैं।
आपको बता दें कि जांच की ओर पहुंचे इस मुद्दे पर फिलहाल फिर से रोक लग गई है। ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई (ASI) सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया है। दरअसल जिला जज की तरफ से हिंदुओं की मांग पर मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने के लिए आदेश जारी किया था।
ज्ञानवापी की लड़ाई काफी लम्बे समय से चल रही है। हिन्दू लोग इसे हिन्दुओं का परिसर मानते हैं और परिसर का सर्वे कराये जाने की मांग कर रहे हैं जबकि मुस्लिम समाज इसे मस्जिद परिसर मानते है और सर्वे नहीं कराने की मांग कर रहा है। अदालत में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी है और कोर्ट जल्द ही इस पर फैसला सुना सकती है।