राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए मायावती को भी मिला आमंत्रण, लेकिन शामिल नहीं होंगी !
Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना निश्चित है। इसकी तैयारी भव्य तरीके से चल रही है। देश -दुनिया के लोगों को आमंत्रण भेजा जा रहा है। करीब सात हजार से ज्यादा लोगों को आमंत्रित किया गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती को भी आमंत्रण पत्र भेजा गया है। विहिप ने कहा है कि मायावती को आमंत्रण पात्र भेजा गया है और उन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया है हालांकि वे इस समारोह में शामिल नहीं हो रही हैं। हालांकि इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि मायावती आखिर समारोह में शामिल क्यों नहीं हो रही है। कहा जा रहा है कि जिस तरह से इंडिया गठबंधन से जुड़े कई दलों ने इस समारोह में जाने से इंकार किया है, मायावती भी वैसा ही कुछ करने जा रही है। कांग्रेस समेत तमाम इंडिया गठबंधन के दलों ने शंकराचार्य के समारोह में न जाने की बात कही है। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जब मंदिर का काम ही अभी पूरा नहीं हुआ है ऐसे में मंदिर का उद्घाटन नहीं किया जाना चाहिए। बता दे कि ये सभी बातें शंकराचार्यों के बयान के बाद सामने आये हैं देश के चरों शंकराचार्य इस समारोह में नहीं पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मंदिर का काम अभी अधूरा है इसलिए इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा धर्म शास्त्र के खिलाफ है।
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उधर विहिप ने यह भी कहा है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को अभी तक आमंत्रण नहीं मिला है इस बात की जानकारी उनके बयान से लगी है। हालांकि विहिप ने उन्हें आमंत्रण भेजा था लेकिन आमंत्रण नहीं मिला है तो उन्हें फिर से आमंत्रित किया जायेगा। बता दें कि पिछले दिनों अखिलेश यादव ने मीडिया को बताया था कि सुना है कि उन्हें कुरियर से आमंत्रण पत्र भेज गए है। हालांकि सच तो यही है उन्हें अभी तक कोई आमंत्रण नहीं मिला है। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि प्रभु राम सबके हैं। वे बुलाएँगे तो हम जरूर जायेंगे। किसी के कहने या नहीं कहने से कुछ नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा था कि जिन लोगों ने हमें आमंत्रण पत्र भेजने की बात कही है उन्हें तो हम जानते तक नहीं है। फिर किसी अनजान आदमी से कोई आमंत्रण कैसे स्वीकार करेगा।
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विपक्षी दलों का कहना है कि अयोध्या का यह समारोह बीजेपी का समारोह होकर रह गया है। आखिर बीजेपी इस समारोह को इतना आगे क्यों बढ़ा रही है इसका जवाब बीजेपी को देना चाहिए। अगर चुनाव को देखते हुए यह सब किया जा रहा है तो अन्य दलों को इसमें क्या काम है ? जब प्रभु राम उन्हें बुलाएँगे तो वे जरूर जायेंगे। विपक्ष यह भी कह रहा है कि जब देश के चारो धर्माचार्य यानि शंकराचार्य वहाँ नहीं जा रहे हैं तो जरूर कोई बड़ी बात होगी। धर्म की जानकारी उन्हें ही तो है। वही तो सनातन धरण को आगे बढ़ाते हैं। और वही जाने से मना कर रहे हैं ऐसे में इस समारोह की कोई महत्ता नहीं रह जाती।