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मोदी सरकार ने महंगाई को कम करने की जिम्मेदारी ली अपने हाथों

Modi Government: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद महंगाई को कम करने की जिम्मेदारी उठा ली है. आने वाले कुछ हफ्तों में पीएम ऐसे निर्णय ले सकते हैं जिससे महंगाई की तुरंत कमर टूट सकती हैं. जिस पर नरेंद्र मोदी और उनकी कोर टीम ने योजना बनानी शुरू कर दी है.

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दरअसल महंगाई से आम जनता ही नहीं बल्कि सरकार भी परेशान है. सरकार (Modi Government) ने इस महंगाई से छुटकारा पाने के लिए रूस से कच्चा तेल मंगाना पहले से ही शुरू कर दिया था. अब सरकार रूस से गेहूं का भी आयात करने वाली है. इसके बाद भी महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है. इसलिए अब सरकार एक ऐसा ब्लू प्रिंट (Blue print) तैयार कर रही है जिससे महंगाई को चारों खाने चित किया जा सकें.

शतरंज की इस चाल में एक तरफ है महंगाई तो दूसरी तरफ RBI गवर्नर नहीं, बल्कि खुद देश के पीएम नरेंद्र मोदी आ चुके हैं. उन्होंने इस बाजी पर विजय पाने के लिए अपने मोहरों और चालों पर विचार करना शुरू कर दिया है और फैसला ले लिया है कि आखिर किस मोहरे को कब और किस रूप में चला जाए. ताकि चुनाव के वक्त विपक्ष को महंगाई का मुद्दा ही ना मिले.

पेट्रोल और डीजल हो सकता है सस्ता

सरकार की पहली चाल देश में पेट्रोल और डीजल के दामों को कम करना है. इसके लिए पीएम मोदी खुद जल्द निर्णय ले सकते हैं. सरकार पेट्रोल और डीजल से टैक्स में भी कटौती करने की योजना बना रही है. यदि पेट्रोल और डीजल से TAX को घटाया जाए तो पेट्रोल और डीजल की कीमत भी कम हो जाएगी.

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फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 21 मई 2022 को पेट्रोल पर से 8 रुपये और डीजल पर से 6 रुपये की एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. लेकिन इस बार 15 रुपये पेट्रोल से और 12 रुपये डीजल से एक्साइज ड्यूटी कम की जाएगी. जिसके बाद देश के प्रदेशों की तरफ से वैट को कम करने का दबाव होगा.

जिसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत और भी कम हो जाएंगी. इसका मतलब है कि महंगाई को कम करने के लिए सरकार ऐसी चाल चलने के मूड में है जिससे महंगाई को भी मात मिले और इस चुनावी साल में माहौल सत्ता के अनुकूल बना रहे.

गेहूं से आयात ड्यूटी होगी कम

इस वर्ष बारिश के कारण फसल को काफी नुकसान हुआ है और सरकार के अनुमान के अनुसार देश में गेहूं का प्रोडक्शन काफी कम रह सकता है. यहां तक की अप्रैल के बाद से गेहूं की कीमत में भी फायदा देखने को मिला है. बता दें गेहूं के दामों को कम करने के लिए सरकार कई अहम कदम उठाने वाली है. मौजूदा वक्त में प्राइवेट सेक्टर में गेहूं का आयात मुफ्त है, लेकिन इस पर मौजूदा वक्त में टैरिफ लगता है. लेकिन अब सरकार गेहूं के दामों को कंट्रोल करने के लिए पूरी तरह टैरिफ को समाप्त करने के लिए सोच रही है.

wheat

खाद्य तेलों पर से आयात ड्यूटी हटाना

सरकार ने खाने के तेल की कीमत को कम करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी को घटाया हैं. इसका प्रभाव इंडिया के रिटेल बाजारों (retail market) में खाने की तेल के दामों में नजर आ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार ने जून के महीने में एडिबल ऑयल खासकर सोया और सनफ्लावर ऑयल की इंपोर्ट ड्यूटी को 17.5% से 12.5% कर दिया था, यह दरें मार्च 2024 तक जारी रहने वाली थी. अब इसे पूरी तरह से समाप्त करने की योजना बनाई जा रही है.

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EMI कम करना

पीएम मोदी की ये अंतिम चाल होगी और आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए आखिरी मौका. आम लोगों को इस साल तो बढ़ी हुई EMI से राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही है, लेकिन चुनाव से कुछ वक्त पहले RBI के जरिए रेपो रेट में 0.50% की कटौती की जा सकती है. लगातार 3 बार से RBI ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं कर रही है. मौजूदा वक्त में रेपो रेट 6.50% है, जोकि पूरी एशियाई रीजन में सबसे अधिक है. ऐसे में आम जनता को राहत देने के लिए फरवरी के महीने से इस मसले पर काम किया जा सकता हैं.

 inflation in india

आपको बता दें 14 अगस्त को देश में सरकार (Modi Government) ने रिटेल महंगाई के आंकड़ें जारी किए थे, जिसके 6.70% रहने के आसार थे, लेकिन सभी अनुमानों और आंकड़ों को ध्वस्त करते हुए रिटेल महंगाई 7.44% पर पहुंच गई. 17 अगस्त को RBI के बुलेटिन के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में देश की रिटेल महंगाई 6% से अधिक रह सकती है. वास्तव में जून और उसके बाद जुलाई के महीने में टमाटर के साथ सब्जियों के दामों में उछाल के कारण से महंगाई में इजाफा देखने को मिला है. आपको बता दें कि मई के महीने में रिटेल महंगाई 4.25% पर आ गई थी, लेकिन जून के महीने में यह महंगाई 4.87% पर आई और जुलाई के महीने में महंगाई हाई पर पहुंच गई.

Prachi Chaudhary

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