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Chaitra Navratri 2024: नवरात्र केवल एक पर्व ही नहीं इसमें छिपा है स्वास्थ्य का खजाना

Navratri is not just a festival, there is a treasure of health hidden in it.

Chaitra Navratri 2024: नवरात्र केवल एक पर्व ही नहीं इसमें छिपा है स्वास्थ्य का खजानाज्योतिष, अध्यात्म के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी नवरात्रि व्रत का महत्व बढ़ जाता है। साल में छह महीने के अंतराल पर रखा जाने वाला यह व्रत पाचन तंत्र को आराम देता है। आइए जानते हैं नवरात्रि उत्सव के छिपे स्वास्थ्य लाभ।

चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri) का नौ दिवसीय व्रत मंगलवार, 9 अप्रैल से शुरू होगा और नवरात्रि की अष्टमी का व्रत मंगलवार, 16 अप्रैल को रखा जाएगा। नवरात्रि उत्सव के दौरान देवी की पूजा करने और व्रत रखने के पीछे वैज्ञानिक आधार है। चैत्र और आश्विन का महीना। मौसम विज्ञान के अनुसार ये दोनों महीने सर्दी-गर्मी के संधिकाल के महत्वपूर्ण महीने हैं। वैसे तो ऋतुएँ छह मानी जाती हैं, लेकिन देखा जाए तो ये दो ही प्रकार की होती हैं, एक ग्रीष्म और दूसरी शीत।

शीत ऋतु (chaitra navratri) का आगमन आश्विन माह में और ग्रीष्म ऋतु का आगमन चैत्र माह में शुरू हो जाता है। ऋतु प्रारम्भ होते ही सम्पूर्ण भौतिक जगत में हलचल प्रारम्भ हो जाती है। पेड़-पौधे, वनस्पति, जल, आकाश, वातावरण सब कुछ बदलने लगता है। ये दो माह दोनों ऋतुओं का संक्रमण काल हैं। इसलिए इनका हमारे स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है।

व्रत-उपवास का वैज्ञानिक आधार- चैत्र माह में गर्मी शुरू होते ही रक्त का प्रभाव जो पिछले कई महीनों से धीमा था, अब हमारी धमनियों में तीव्र गति से प्रवाहित होने लगता है। सिर्फ खून के बारे में ही नहीं, यह नियम शरीर में वात, पित्त और कफ पर भी लागू होता है। यही कारण है कि विश्व में अधिकांश रोगी इन महीनों में या तो शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं अथवा पूर्ण स्वास्थ्य लाभ नहीं ले पाते और कुंडली में आयु पूरी कर सांसारिक चक्र से मुक्त हो जाते हैं। इसलिए संधिकाल के इन महीनों में शरीर को पूर्णतया स्वस्थ रखने के लिए शास्त्रकारों ने विशेष रूप से नौ दिनों के व्रत आदि का प्रावधान किया है।

स्वस्थ रहने के लिए रामबाण है नवरात्रि व्रत – नवरक्त संचारी वसंत के इन मादक दिनों में कामुक वासना की नई-नई लहरें भी मन को खूब आंदोलित करती हैं, लेकिन अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए इन नौ दिनों में व्रत का आश्रय ले लें तो समझ लीजिए कि आपने आगामी सीज़न के लिए अपने अंदर शक्ति संग्रहित करें। जिसका परिणाम आपको यह मिलेगा कि अगला ऋतु परिवर्तन होने तक आपको न तो कोई रोग, बीमारी और न ही किसी प्रकार की मानसिक अशांति परेशान करेगी। दिन में संयमपूर्वक व्रत (chaitra navratri) रखें और रात में कुछ समय मंत्रों, स्तुतियों या धार्मिक ग्रंथों और उनके अर्थों पर ध्यान करते हुए व्यतीत करें। इसमें प्रयुक्त गुणों को अपनी आत्मा में धारण करो और फिर भूमि पर सो जाओ और फिर देखो कि तुम्हारी आध्यात्मिक शक्ति पूर्ण विकसित होती है या नहीं? कभी-कभी यह देखकर आश्चर्य होता है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने, जो कि अखण्ड ब्रह्माण्ड के संबंध संकेतों के पारखी हैं, किस प्रकार प्रकृति द्वारा प्रदत्त नैसर्गिक अवसरों को परखकर हमें विशेष रूप से सुसंस्कृत करने का प्रयास किया है।

Written By । Prachi Chaudhary । Nationa Desk । Delhi

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