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Act East Policy: पूर्वोत्तर बन रहा है विकास का नया कॉरिडोर

इसी प्रयास के तहत अब सरकार 'लुक ईस्ट' नीति से 'एक्ट ईस्ट' पर आई, अब उससे आगे निकलकर इसकी नीति 'एक्ट फास्ट फॉर नॉर्थ ईस्ट' और 'एक्ट फर्स्ट फॉर नॉर्थ ईस्ट' हो गई है।

केंद्र सरकार के वर्तमान नेतृत्व ने पिछले 8 वर्षों में पूर्वोत्तर के विकास से जुड़ी अनेक रुकावटों को ‘ रेड कार्ड’ दिखाया है। सरकार पूर्वोत्तर को न केवल आर्थिक विकास का, बल्कि सांस्कृतिक विकास का भी केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी प्रयास के तहत अब सरकार ‘लुक ईस्ट’ नीति से ‘एक्ट ईस्ट’ पर आई, अब उससे आगे निकलकर इसकी नीति ‘एक्ट फास्ट फॉर नॉर्थ ईस्ट’ और ‘एक्ट फर्स्ट फॉर नॉर्थ ईस्ट’ हो गई है। पिछले दिनों शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में परिषद के योगदान की सराहना करने के साथ ही कहा, “इस क्षेत्र में कई शांति और अंतरराज्जीय सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, उग्रवाद की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के 8 राज्यों को फिर अष्ट लक्ष्मी के रूप में संदर्भित करते हुए कहा है, “सरकार को इसके विकास के लिए 8 आधार स्तंभों, शांति, बिजली, पर्यटन, 5जी कनेक्टिविटी, संस्कृति, प्राकृतिक खेती, खेल और क्षमता विकास पर काम करना चाहिए।” प्रधानमंत्री ने इस बैठक में नेट जीरो को लेकर कहा कि पूर्वोत्तर जलविद्युत का पावरहाउस बन सकता है। सरकार पूर्वोत्तर को न केवल आर्थिक विकास का बल्कि सांस्कृतिक विकास का भी केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।   

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एक समय सिर्फ बजट, टेंडर, शिलान्यास और उद्घाटन तक सीमित रहने वाले विकास में, अब बदलाव दिखने के साथ महसूस भी किया जा रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर विकसित भारत को एक मजबूत बुनियाद देने में जुटी केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 7 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है जो 8 वर्ष पहले 2 लाख करोड़ रुपये से भी कम था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर को इसी कड़ी में पूर्वोत्तर के विकास को गति देने वाली 6,800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलांग और अगरतला में उद्घाटन एवं शिलान्यास किया तो पूर्वोत्तर परिषद की स्वर्ण जयंती बैठक को किया संबोधित, बोले, ”हम पूर्वोत्तर में विवादों का बॉर्डर नहीं, विकास का कॉरिडोर बना रहे हैं। ”

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