Opposition’s I.N.D.I.A Name Conflict: ‘इंडिया ‘ नाम को लेकर विपक्ष को अदालत से मिल सकता है झटका ?
![Opposition's I.N.D.I.A Name Conflict: Can the opposition get a blow from the court regarding the name 'India'?](http://newswatchindia.com/wp-content/uploads/2024/04/MixCollage-02-Apr-2024-07-50-PM-7320-780x470.jpg)
Opposition’s I.N.D.I.A Name Conflict: इस बात की सम्भावना बढ़ गई कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के नाम पर अदालत कोई बड़ा फैसला दे सकता है। जानकारी के मुताबिक़ कोर्ट ने इस नाम को लेकर विपक्ष को अल्टीमेटम भी दिया है। हालांकि विपक्षी गठबंधन का पूरा नाम इंडियन नेशनल डेव्लपमेंटल इन्क्लूसिव अलाइंस है लेकिन विपक्षी पार्टियां इसे संक्षिप्त ने इंडिया नाम से प्रचारित करती है। इस नाम को लेकर दिल्ली है कोर्ट मेर एक याचिका दाखिल है जिस पर सुनवाई करते कोर्ट ने विपक्षी दलों से एक सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है।
हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनप्रीत प्रीतम सिंह की खंडपीठ ने कारोबारी गिरीश भारद्वाज की जनहित याचिका की सुनवाई को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है जिसका उद्देश्य 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण से पहले समाधान करना था।
गौरतलब है कि गिरीश भारद्वाज ने पिछले साल अगस्त में यह याचिका दायर की थी। उच्च न्यायलय ने याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि याचिका पर दस अप्रैल को सुनवाई करने और उसका निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट के मुताबिक विपक्षी दलों और केंद्र सरकार को एक हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि याचिका पर जवाब दाखिल करने का यह आखिरी मौक़ा भी होगा।
भारद्वाज ने अपनी याचिका में कहा था कि विपक्षी दाल अपने स्वार्थ कार्यों के लिए इंडिया नाम का उपयोग कर रहे हैं। पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में अनुचित लाभ लेने के लिए गठबंधन का नाम इंडिया रखा है। यह शांतिपूर्ण ,पारदर्शी और निष्पक्ष वोटिंग पर असर डाल सकता है। प्रतीक और नाम अधिनियम 1950 की धारा 2 और तीन के तहत इंडिया नाम का उपयोग निषिद्ध है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2023 अगस्त में 26 विपक्षी दलों और चुनाव आयोग को इस बावत नोटिस जारी किया था।
हालांकि इस पुरे मामले में चुनाव आयोग ने कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार दिया था। आयोग ने कहा था कि वह जान पटरिनिध्त्व अधिनियम 1951 के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में यह भी कहा था केरल हाई कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में कहा था कि राजनीतिक गठबंधनों के काम काज म को विनियमित करने के लिए संविधान में कोई ख़ास चर्चा नहीं है और न ही की संविधानिक बॉडी के लिए कोई ख़ास प्रावधान ही है।
लेकिन अब जब इस मामले में फिर से दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है तो इस बात की सम्भावना बढ़ गई है कि इंडिया नाम पर कोई बड़ा फैसला हो सकता है। अगर अदालत की तरफ से इंडिया नाम के उपयोग पर कोई रोक लगता है तो विपक्षी दलों को परेशानी हो सकती है। सामने चुनाव है और सभी पार्टियां चुनाव में अपने गठबंधन के सहारे आगे बढ़ रही है ऐसे में इंडिया निर्णय होता है तो विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है।