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Qatar Professor on Islam: कतर यूनिवर्सिटी के शिक्षक का विवादित बयान, कहा “दें जजिया कर वरना लड़ाई के लिए रहें तैयार”

वहीं अगर वो इस्लाम (Qatar Professor on Islam) स्वीकार करने से इनकार करते हैं तो ऐसे लोगों को जज़िया कर देना पड़ता है। जज़िया कर यानि एक ऐसा भुगतान जो गैरमुस्लिमों को दूसरों से सुरक्षा के लिए देना पड़ता है।

नई दिल्ली: कतर में जारी फीफा वर्ल्डकप एक के बाद एक कई वजहो से लगातार विवादों में आता जा रहा है और इसी बीच कतर यूनिवर्सिटी में इस्लामिक शिक्षा के प्रोफेसर (Qatar Professor on Islam) डॉ. शफी अल-हजरी ने अपने एक इंटरव्यू में गैरमुस्लिमों के खिलाफ जहर उगला है। कतर जो फीफा वर्ल्डकप की वजह से इस वक्त पूरी दुनिया की सुर्खियों में है क्योकि फीफा वर्ल्ड कप कभी पहनावे को लेकर तो कभी मैदान में हुई खिलाड़ियों के बीच हुई मारपीट से चर्चा में रहा है।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कतर एक मुस्लिम देश (Qatar Professor on Islam) है जहां कड़े धार्मिक नियम लागू होते हैं और इस सबके बीच कतर यूनिवर्सिटी में इस्लामिक शिक्षा के प्रोफेसर (Qatar Professor on Islam) डॉ. शफी अल-हजरी ने इंटरव्यू में एक विवादित बयान दिया है जिसमे कहा है कि जो लोग इस्लाम स्वीकार करने और जज़िया कर देने से मना करते है, उनके खिलाफ लड़ाई होनी चाहिए। इंटरव्यू के दौरान प्रोफेसर ने कहा ‘लड़ाई दवाह की तीसरी स्टेज है क्योंकि पहले हम लोगों को अल्लाह के पास बुलाते हैं। अगर वो स्वीकार करते हैं तो उन्हें उन्हीं कर्तव्यों और अधिकारों का पालन करना पड़ेगा, जिनका बाकी मुस्लिम भी करते है।

यह भी पढ़ें: Fifa World Cup 2022: कतर में फीका पड़ा फीफा वर्ल्ड कप का रंग, खिलाड़ियों ने आपसी में की जमकर मारपीट

वहीं अगर वो इस्लाम (Qatar Professor on Islam) स्वीकार करने से इनकार करते हैं तो ऐसे लोगों को जज़िया कर देना पड़ता है। जज़िया कर यानि एक ऐसा भुगतान जो गैरमुस्लिमों को दूसरों से सुरक्षा के लिए देना पड़ता है। इसके बाद हजरी ने कहा ‘अगर वे यह कर चुकाने से भी मना करते हैं तो तीसरी स्टेज में उनसे ‘लड़ाई’ होती है। उनके इस बयान के मुताबिक जो इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार कर देते हैं या जज़िया कर देने से मना कर देते हैं। उन्हें समाप्त कर देना चाहिए और इस वक्त प्रोफेसर डॉ. शफी अल-हजरी के बयान चर्चाओं में हैं।

जाकिर नाइक को लेकर भी हो चुका विवाद

फीफा की शुरुआत के बाद वहां के रूढ़िवादी नियम चर्चा में हैं और कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा चुका है कि इस्लाम का प्रचार प्रसार करने के लिए कतर ने विवादास्पद उपदेशक और भगोड़े जाकिर नाइक को भी बुलाया है। इस विषय पर ये भी माना जा रहा है कि ‘मिशन दवाह’ को हवा देने के लिए आतंकी गतिविधियों में शामिल जाकिर को आमंत्रित किया गया है। हालांकि मामले को बढ़ता देख कतर ने भारत को कहा कि उसकी ओर से जाकिर नाइक को कोई आधिकारिक आमंत्रण नहीं दिया गया है। इसके अलावा कतर ‘इस्लामिक देश की सबसे महंगे फुटबॉल वर्ल्डकप’ की मेजबानी कर रहा है और अब कतर इसको धार्मिक रंग देना चाह रहा है।

क्या होता है दवाह और जज़िया कर?

‘दवाह’ का मतलब ‘इस्लाम में धर्म परिवर्तन’ होता है। वहीं ‘जज़िया’ एक तरह का धार्मिक कर होता है जिसे किसी मुस्लिम देश में रहने वाली गैर-मुस्लिम जनता से वसूला जाता है। मध्य कालीन इतिहास बताता है कि मुस्लिम शासकों ने इसे लागू किया था। उस समय इस्लामिक देश में सिर्फ मुसलमानों को रहने की अनुमति होती थी। जज़िया कर देकर ही कोई गैर मुस्लिम यहां रह सकता है।

उधर, कतर यूनिवर्सिटी में इस्लामिक शिक्षा के प्रोफेसर डॉ. शफी अल-हजरी के इस इंटरव्य को अभी तक दुनिया के तमाम बड़े अखबलों और न्यूज चैनलों ने तवज्जो नहीं दी, जिसे निसंदेह शर्मनाक कहा जा सकता है। फीफा वर्ल्डकप 2022 वाकई एक के बाद धार्मिक कारणों की वजह से विवादों में आता जा रहा है लेकिन अभी भी दुनिया के तमाम देश मामले पर खुलकर सामने नहीं आए हैं। हालांकि भारत ने इन सभी मुद्दों पर लगातार नजर बना रखी है।

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Ashok Kumar

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