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Ayodhya News Ram Lalla’s Surya Tilak: श्रीराम के ‘सूर्याभिषेक’ के दौरान हुआ चमत्कार!

Ayodhya News Ram Lalla’s Surya Tilak: रामनवमी के सुअवसर पर चमचमाते सूर्यदेव पूरे तेज़ के साथ रामलला के मस्तक पर सुशोभित हुए। प्राणप्रतिष्ठा के बाद रामभक्तों ने एक बार फिर इन ऐतिहासिक पलों को जीया। इन पलों की अलौकिकता का अनुभव किया। 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद हमारे प्रभु राम का ‘सूर्याभिषेक’ हुआ।
कलुयग में त्रेता की ‘छटा’ देखने को मिली है, राम आराध्य भी हैं, राम आराधना भी हैं…. राम साध्य भी हैं और साधना भी हैं, राम धारणा भी हैं और धर्म भी हैं! राम कारण भी हैं और कर्म भी हैं ! राम गृहस्थ भी हैं और संत भी हैं, राम आदि भी हैं और अंत भी हैं। राम हैं तो हम हैं…. राम हैं तो दुनिया है।


आज रामभक्तों को श्रीरामलला के मुस्कुराते मुख के दर्शन हुए।द्वार खुलते ही रामलला पूरे दिखे। रामलला के जन्मोत्सव के अवसर पर वस्त्र श्रृंगार किया गया। रामलला के दिव्य मस्तक पर कुमकुम चंदन का लेप लगाया गया। लेकिन इस दौरान तिलक नहीं लगाया गया। रामलला के उत्सव मूर्ति का सूर्य अभिषेक किया गया और रामलला को छप्पन भोग का प्रसाण चढ़ाय़ा गय़ा।
हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्यदेव का विशेष महत्व माना गया है। वैदिक काल से ही सूर्य को प्रत्यक्ष देवता मानते हुए पूजा-उपासना होती आ रही है। ऐसी मान्यता है प्रतिदिन सूर्य उपासना करने से कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलता है।
लेकिन इन सबके बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें प्रभु राम मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। ये वीडियो डीपफैक की मदद से बनाया गया है। लेकिन इन तस्वीरों को देखकर आज रामभक्त के चेहरे पर मुस्कान है और पूरी दुनिया जय श्री राम का जयघोष कर रही है।
सूर्यदेव समूची पृथ्वी में मौजूद जीव-जंतुओं और वनस्पतियों में ऊर्जा के स्त्रोत हैं। त्रेतायुग में भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में अयोध्या में सूर्यवंशी और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम का जन्म हुआ था। महर्षि अगस्त ने भगवान राम को सूर्य का प्रभावी मंत्र आदित्य ह्रदयस्तोत्र की दीक्षा दी थी।वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक सूर्य तिलक के दौरान 9 तरह के शुभ योग और कई ग्रहों का ऐसा संयोग बनेगा जैसा त्रेतायुग में भगवान राम के जन्म के समय बना था।आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक भगवान राम के जन्म के दौरान सूर्य देवता भी महीनेभर तक अयोध्या धाम रुके थे.. इस बार सदियों बात त्रेतायगीन समय को जीवंत करने के लिए विशेष आयोजन किया जा रहा है।शास्त्रों के अनुसार भगवान राम का जन्म त्रेता युग में कर्क लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र, अभिजीत मुहूर्त और सूर्य के उच्च राशि में हुआ था। मान्यता ये भी है कि भगवान श्रीराम सूर्यवंशी राजा थे, इस कारण सूर्य तिलक करने की परंपरा रही है


अब बात करें भगवान रामलला की पोषाक की तो उन्हें पीले वस्त्र धारण किए। ये मान्यता है कि रामलला जब छोटे थे.. माता कौशल्या ने उन्हें पीले वस्त्र पहनाए थे.।इसलिए भी विशेष रूप से रामनवमी के पर्व पर उनकी पोषक तैयार की गई है। वैसे सूर्य का रंग भी पीला होता है। ये रंग भारतीय संस्कृति में शुभता का रंग भी होता है.. प्राण प्रतिष्ठा के दिन भी रामलला ने पीले रंग के वस्त्र धारण किए ।अब बात करें उन्हें भोग में क्या-क्या लगाया गया तो बता दें कि पंजीरी…फल के अलावा विशेष रूप से छप्पन भोग तैयार किया गया है।
छप्पन भोग थाली में 56 तरह के व्यंजन हैं, रामलला की छप्पन भोग की थाली में हर प्रकार की मिठाई है, ख़ास तौर पर ‘तुलसी की मिठाई’ भी तैयार की गई । रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली रामनवमी है ऐसे में रामलला को चढ़ावे के रूप में छप्पन भोग लगेगा लखनऊ से ये छप्पन भोग अयोध्या लाया गया।मान्यता है कि रामनवमी पर रामलला को 56 भोग लगाने से वो बेहद प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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