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बिहार से फिर शुरू होने जा रही है आरक्षण की लड़ाई

Bihar Politic’s News: चुनाव का माहौल है और एक तरफ मंदिर का मुद्दा फिर से गरम है तो दूसरी तरफ आरक्षण को लेकर बिहार ने अपना पासा फेंक दिया है। खेल निराला है। यूपी जो आज की तारीख में हिंदुत्व का सबसे बड़ा प्रयोगशाला बना हुआ है वहां अयोध्या में प्रभु राम की प्राणप्रतिष्ठा अगले जनवरी महीने में होने जा रही है। बीजेपी ,विहिप और संघ से जुड़े तमाम संगठन इसे घर घर तक पहुंचाने की तैयारी में है। राम के बहाने अगले चुनाव के लिए हिन्दू भावना को तैयार करने का बेजोड़ जुगत। इसका लाभ भी संभव है इस बार फिर बीजेपी को मिल जाए। क्योंकि जिस तरह की तैयारी है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। विहिप के लोग पांच लाख घरों तक पहुँच रहे हैं। सबको अक्षत का प्रसाद मिलेगा और अयोध्या आने का निमंत्रण। याद रखिये आयोध्या आने का निमंत्रण ही बड़ी बात है। कहा जा रहा है कि विहिप के लोग यह भी कहते जा रहे हैं कि प्रभु राम ने आपको बुलाया है। आखिर कौन नहीं जायेगा ?  उधर बिहार में कुछ  और की तैयारी चल रही है।

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यूपी में योगी जी ठहाका लगा रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि इस बार भी खेल बन जाएगा। मोदी जी की अपनी समझ है और शाह साहब की अपनी राजनीति। लेकिन संघ की समझ तो यही है कि इस बार किसी भी तरह से सरकार बन जाए ताकि उसके सौ बरस की तैयारी पूरी हो जाए और संभव है कि हिंदी देश बनाने के सपने भी पुरे हो जाए। लेकिन हर खेल के पीछे एक दूसरा खेल भी तैयार होता है। इधर संघ की अपनी तैयारी चल रही है और उधर बिहार में नितीश ने बड़ा खेल कर दिया है। नीतीश कुमार ने मंगलवार को सामाजिक और आर्थिक सर्वे आंकड़े विधान सभा में पेश किये हैं। बड़ा बवाल हुआ। इसके बाद आरक्षण बढ़ाने के प्रस्ताव भी लाये गए। जल्दबाजी में सारे काम किये जा रहे हैं। नीतीश सरकार ने मौजूदा व्यवस्था में 15 फीसदी और आरक्षण बढ़ाने की बात कर रहे हैं। अभी 50 फीसदी आरक्षण है और अब 65 फीसदी की बात की जा रही है दस फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए तो चल ही रहा है आरक्षण। यानी कुल मिलकर 75 फीसदी आरक्षण की कहानी। सवर्णो के लिए अब बच  जाएगा 25  फीसदी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कैबिनेट में 15 फीसदी और आरक्षण बढ़ाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल चुकी है। 9 नवम्बर को इस प्रस्ताव को दोनों सदनों में पेश किया जायेगा।

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बिहार की यह राजनीति पूरा देश देख रहा है और केंद्र चुपचाप भी सहता जा रहा है। केंद्र करे भी तो क्या ? बीजेपी इसका विरोध भी तो नहीं कर सकती। विरोध किया तो खेल ख़त्म। नहीं विरोध करने का खामियाजा अब नितीश आगे करेंगे। कुल मिलकर जाल में बीजेपी फंसती जा रही है। शाह साहब बेचैन है। कुछ दिख नहीं रहा। जो आरक्षण के प्रस्ताव नीतीश सरकार ने तैयार किये हैं उसमे 27 आबादी बालुई पिछड़ी जातियों को 18 फीसदी आरक्षण मिलेगा। 36 फीसदी आबादी वाले ओबीसी को 25 फिसड़फी आरक्षण का लाभ और 20 फीसदी आबादी वाले एससी को 20 फीसदी आरक्षण मिलेगा एसटी को दो फीसदी आरक्षण मिलेगा। पहले एक फीसदी था। इस प्रकार 63 फीसदी पिछड़ी और ओबीसी  43 फिसड़फी आरक्षण मिलेगा। महिलाओं को मिलने वाले तीन फीसदी आरक्षण को ख़त्म किया जायेगा। 15 फीसदी आबादी वाले सवर्ण जातियों को दस फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा।     बिहार का यह खेल अन्य राज्यों को भी लुभा रहा है। पांच राज्यों के चुनाव के बाद इस खेल को आगे बढ़ाने की तैयारी हो रही है। कई राज्यों में जब इस तरह के आरक्षण की मांग की जाएगी तो बीजेपी की साँसे फूलने लगेगी।

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