RSS News मेरठ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि खेती किसान और काम करने वाले स्वतंत्रता का 75वां वर्ष बना रहें हैं। आज खेती में जो रसायनिक प्रयोग करके खेती की जा रही है, उन कृषि उत्पादन से कैंसर की बीमारी पैदा हो रही है। भारतीय पारम्परिक खेती ही फायदेमंद है।
मोहन भागवत यहां गो आधारित कृषि के संबंध में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मातृभूमि की खस्ता हालत है। हमें अधिकांश पोषक भूमि से मिलता है। भूमि हमें जैसा देती है, हम वही खाते हैं। जैसा बीज हम भूमि में दबाते हैं, वैसे ही उपज हमें मिलती है।
आरआरएस प्रमुख ने कहा कि आज कृषि व्यवस्था को दुरुस्त किया है। पहले पत्थरों से भवन बनता था। भवन बनाने वाली एक जाति थी, जो भवन का काम करती थी। भारत में सरकारी भवन बनेगा तो उसके लिए पोर्ट लैंड का सीमेंट लेना पड़ता है। इस एक कानून से 33 हजार लोगों का रोजगार चला गया। भीलवाड़ा का आंदोलन इसी कारण किया गया था।
भागवत ने कहा कि विश्व में पैदा होने वाली 7-8 हजार धान की प्रजातियां हैं। प्रकृति का भंडार अपार हरियाली के रुप में है। हमें इस भंडार को भरना भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि पहले परापंरा खेती के लिए लोन नही लेना पड़ता था। वर्तमान में हमें खेती की लागत कम करनी होगी..
हमारे देखने और सोचने की दृष्टि खेतों से मिली है। जो इसे खंडित करने वाले हैं, वे महापाप के भागी है। उन्होंने कहा कि गो आधारित कृषि एक वरदान के रूप में साबित होगी । हम पशुओं के माध्यम से कृषि को नए रूप में विकसित कर सकते हैं। इसके लिए हमें फिर से भारतीय परंपरा के अनुसार कृषि को बढ़ावा देना होगा।