तेजस्वी यादव ने संभाली स्टेयरिंग, अखिलेश को क्या है परेशानी?
Political News: यूपी में कल जमकर सियासी ड्रामा चला, अमेठी (Amethi) में लड़ाई थी राहुल गांधी और स्मृति ईरानी (Rahul Gandhi Smriti and Irani) के बीच….एक तरफ राहुल गांधी अपनी पूरी अपनी पूरी सेना के साथ अमेठी पहुंचे थे, तो उधर स्मृति ईरानी (Smriti and Irani) भी अपनी ताकत दिखाने से कहां चूकने वाली थीं। राहुल गांधी को उम्मीद थी की उन्हें अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का साथ मिल जाएगा। लेकिन अमेठी में राहुल को अकेले ही यात्रा निकालनी पड़ी और इस बात ने बीजेपी को कांग्रेस पर तंज कसने का बड़ा मौका दे दिया।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने विपक्ष पर जमकर सियासी तीर छोड़े, तो वहीं विपक्ष के नेताओं ने कुछ भी बोलने से इनकार किया। दरअसल आपको बता दें कि इंडिया गठबंधन में दरार की वजह है सीट गठबंधन, कुछ दिनों पहले बिहार में कांग्रेस की न्याय यात्रा को आरजेडी का साथ ज़रूर मिला था। तेजस्वी यादव खुद राहुल गांधी के साथ एक गाड़ी में बैठे नज़र आए थे और तो और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने गाड़ी की स्टेयरिंग भी संभाल रखी थी।
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बहरहाल, अब ऐसे में सवाल उठना तो लाजिमी है ही कि जब बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी आरजेडी (RJd) खुलकर कांग्रेस (Congress) का साथ दे रही है तो भला यूपी (UP) में समाजवादी पार्टी Samajwadi Party) को कांग्रेस के साथ आने में क्या परेशानी है। इसके लिए बिहार (Bihar), यूपी (UP) के पिछले लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के आंकड़ों पर नज़र डालना ज़रूरी है।
2019 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में बिहार में कांग्रेस महज़ एक सीट पर जीती थी, जबकि RJD का खाता तक नहीं खुला था। वहीं यूपी में BSP के साथ मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी 5 सीट जीत पाई थी, और BSP 10 सीट जीतने में कामयाब रही थी।
पिछले लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि बिहार में आरजेडी (RJd) को कांग्रेस के साथ की ज़रूरत क्यों है।खासकर नीतीश (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू (JDU) के अलग होने के बाद आरजेडी के सामने कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है। जबकि यूपी में समाजवादी पार्टी मजबूत विपक्ष की भूमिका में है। लिहाज़ा पिछले चुनाव से सबक लेते हुए अखिलेश इस बार एकला चलो की नीति पर आगे बढ़ रहे हैं।
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यही वजह है कि हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और राजस्थान चुनाव (Rajsthan Election) के दौरान भी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने कांग्रेस से अलग होकर अकेले ही चुनाव लड़ा था। उस वक्त भी दोनों पार्टियों में तनाव की स्थिति बनी थी। हालांकि कहा गया था कि लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में दोनों दल फिर एक साथ आएंगे। मगर फिलहाल जो स्थिति नज़र आ रही है, उससे यही लगता है 2024 के आम चुनाव में यूपी के दो लड़कों का मेल मुश्किल है ।
सीटों की लड़ाई, मुकाबला टाइट
इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) में जो फाइट है वो सिर्फ सीटों के लिए है, समाजवादी पार्टी का कहना है कि यूपी में वो मजबूत स्थिति में है, तो वहीं कांग्रेस ये कहती है कि इस बार यूपी में कांग्रेस दमखम दिखाएगी। अखिलेश यादव ने तो यात्रा में शामिल होने से इनकार कर ही दिया है, अब देखना ये दिलचस्प होगा कि आखिर ये इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A Alliance) कब तक टिक पाता है।