Loksabha Election: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है। बीजेपी इस आयोजन को अपने नजरिये से देख रही है। बीजेपी को लग रहा है कि इस बार इस राम मंदिर के जरिये ही उसका बेड़ा पार हो सकता है। इसकी तैयारी भी अद्भुत है। ऐसी तैयारी जिसकी कल्पना की नहीं जा सकती। पूरा देश राममय कर दिया गया है। सोये हुए लोगों को भी जगा दिया गया है। जिनका धर्म -कर्म से कोई वास्ता नहीं वे भी जान गए हैं कि देश में कुछ हो रहा है और अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। अचानक गांव के लोग भी राममय होते जा रहे हैं। बहुत से लोग अयोध्या की तरफ कूच भी कर रहे हैं और बहुत से लोग कुछ करने को तैयार है।
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बीजेपी और संघ से जुड़े लोग काफी खुश हैं। देश के बहुत से साधू ,संत और महात्मा कहे जाने वाले लोग भी खुश हैं झूम रहे हैं। कह रहे हैं कि भगवान राम को अपना घर मिल गया। अब राम राज्य की बारी है। कईयों ने तो यहाँ तक कहा कि मौजूदा प्रधानमंत्री ही भगवान स्वरूप है। हालांकि बीजेपी के भीतर ही कई लोग इसे नहीं मानते लेकिन समाज में क्या सब हो रहा है यह सब देखने की बात है। कुल मिलाकर बीजेपी का एक ही मकसद है कि इस बार राम के नाम पर लोकसभा चुनाव में जीत हो जाए। बीजेपी की नजर हिंदी पर ज्यादा फोकस है। बीजेपी जानती है कि हिंदी पट्टी के लोग गरीब हैं ,बेरोजगार हैं। ऐसे में यहाँ आस्था की कहानी खूब फलती फूलती है। देश की मौजूदा समस्या को आस्था के जरिये ढंका जा सकता है। आस्था को जागाकर लोगों को अपने साथ जोड़ा जा सकता है।
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राममंदिर का लाभ इस बार बीजेपी को मिलेगा यह तय है। कई जानकार भी मान रहे हैं कि इस बार बीजेपी को किसी और मुद्दे की जरूरत नहीं है। मुद्दे तो उसके लिए खुद ही सामने आ गए हैं। बीजेपी और संघ के लोगों को भी पता है कि देश के सामने कई समस्याएं हैं। बीजेपी को यह भी पता है कि हिंदी पट्टी से बहार के लोग जब उनसे सवाल करते हैं तो उनके पास कोई उत्तर नहीं होता। बीजेपी यह भी जानती है कि उनके पास जिन नेताओं की फ़ौज है उसके आचरण किसे हैं देश और समाज के प्रति उनका रवैया क्या है ? बीजेपी को यह भी पता है कि इस देश का बहुत बड़ा हिस्सा उसकी राजनीति को स्वीकार नहीं करता। बीजेपी यह भी जानती है कि इस आधुनिक समाज में जाति और धर्म की राजनीति तभी तो आगे बढ़ती जा रही है जबतक इस देश की जनता गरीब है। बीजेपी को यह भी पता है कि इस देश की समस्या बड़ी है लेकिन पांच किलो अनाज और कुछ हजार रुपये पर ही देश की बड़ी आबादी उसके साथ खड़ी हो गई है। जिस दिन इन लोगों का दिमाग फिरेगा या समाज में बदलाव आएगा उस दिन बहुत कुछ बदल जायेगा।
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ऐसे में बीजेपी इस बार भी राम मंदिर के सहारे चुनावी मैदान में जाएगी और इस बात की सम्भावना है कि बीजेपी को इसका बड़ा लाभ भी मिलेगा। भारत की कमजोरी यह है कि यहाँ धर्म और आस्था को लेकर कोई बहस नहीं की जाती है। आस्था पर सवाल नहीं उठाये जाते। भले ही आस्था का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हो लेकिन आस्था लोगों के जीने का एक साधन तो है ही। यही आस्था समाज और देश को धर्म से जोड़ता है। ईश्वर की भक्ति बड़ी चीज है। भक्ति से किसी को कोई परहेज नहीं। लेकिन जब भक्ति में ठगी ,चालाकी और लोभ समां जाए तो आप इसे क्या कहेंगे ? बीजेपी इस बात को जानती है। बीजेपी अभी तक धर्म को बड़े पैमाने पर उपयोग करती रही है। कई बार बीजेपी को जो सफलता मिली है वह धर्म की वजह से ही। यही वजह है कि इस बार भी वह धर्म के आसरे चुनाव में जाएगी और संभव है उसे सफलता भी मिलेगी .और ऐसा हुआ तो देश की आगामी राजनीति भी बदल सकती है।
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अयोध्या बीजेपी के लिए प्राणवायु के सामान है। अयोध्या है तो बीजेपी की राजनीति बढ़ेगी ही। राम मंदिर ने ही तो बीजेपी को आगे बढ़ाया है। जब तक राम मंदिर का आंदोलन चला बीजेपी आगे बढ़ती रही। यह बात और है कि मौजूदा राम मंदिर से बीजेपी को कोई लेना देना नहीं। अयोध्या में जो राम मंदिर बन रहे हैं उसमे बीजेपी का कोई पैसा नहीं लगा है। मंदिर बनाने में बीजेपी का कोई योगदान भी नहीं। यह तो सब अदालत का फैसला है। अदालत के फैसले से अयोध्या का विवाद ख़त्म हुआ। मंदिर और मस्जिद निर्माण का फैसला हुआ। आज मंदिर देश के लोगों के चंदे से तैयार हो रहे हैं। लेकिन खेल देखिये इस मंदिर के उद्घाटन को लेकर बीजेपी जितना व्यग्र है मानो उसी ने इसका निर्माण कराया है। देश और दुनिया को इस सच का पता है लेकिन बीजेपी इसे कहाँ मानती। वह तो लोगों को यही सन्देश दे रही है कि बीजेपी ने ही मंदिर का निर्माण कराया है। और इस खेल को अब जनता के मन में बैठा दिया गया है। यही बीजेपी की सबसे बड़ी जीत है। और इसमें कोई दो राय नहीं कि आगामी चुनाव में बीजेपी को राम मंदिर का बड़ा लाभ मिलने जा रहा है।