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अंतरिम बजट के एक एक रूपयें का हिसाब , सरकार कहां से लाऐगी पैसे RBI के लिए कितनी आसार होगी राह…

Nirmala Sitharaman Speech On 2024 Budget Live News

Union Budget 2024 News! बजट सरकार की कमाई और खर्च का पूरा लेखा-जोखा होता है। इसमें सरकार बताती है कि उसके पास कहां से पैसा आएगा और यह किन मदों में खर्च होगा। अंतरिम बजट 2024 में भी सरकार ने इसका पूरा ब्‍योरा दिया है। गुरुवार को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में अपना लगातार छठा बजट पेश किया। उन्‍होंने सिर्फ 56 मिनट में अपना बजट भाषण समाप्त कर दिया। यह उनका अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण था। फिरोजी रंग की कढ़ाई वाली कांथा सिल्क साड़ी पहनकर सीतारमण संसद पहुंची थीं।

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया। बजट सरकार के खर्च के आय-व्‍यय का लेखा-जोखा होता है। सरकार ने अंतर‍िम बजट में बताया है क‍ि उसके पास आने वाला हर एक रुपया कहां से आएगा और यह कहां जाएगा। इसके अनुसार, सरकार के खजाने में आने वाले प्रत्येक एक रुपये में 63 पैसा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से आएगा। इसके अलावा 28 पैसा कर्ज और अन्य देयताओं, सात पैसे विनिवेश जैसे नॉन-टैक्‍स सोर्सेज से और एक पैसा गैर कर्ज पूंजी प्राप्तियों से आएगा। आम बजट 2024-25 के मुताबिक, कुल मिलाकर 36 पैसे प्रत्यक्ष कर से आएंगे। इसमें कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आय कर शामिल है। income tax से 19 पैसे आएंगे। वहीं, कॉरपोरेट टैक्‍स से 17 पैसे आएंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार यानि 1 फऱवरी को संसद में अंतरिम बजट पेश किया। इसके मुताबिक, अप्रत्यक्ष करों में गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स (GST) से सबसे ज्‍यादा 18 पैसे आएंगे। इसके अलावा, सरकार हर रुपये में 5 पैसे उत्पाद शुल्क और 4 पैसे सीमा शुल्क से हासिल करेगी।

Read: Budget 2024 Live News Updates: What tax breaks were given in the interim budget?

अंतरिम बजट 2024-25 के मुताबिक , उधार और अन्य देनदारियों से संग्रह 28 पैसे प्रति रुपया होगा। खर्च के मामले में ब्याज भुगतान और करों और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी प्रत्येक रुपये के लिए 20 पैसे है। रक्षा क्षेत्र के लिए 8 पैसे प्रति रुपये आवंटित किए गए हैं।

केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च प्रत्येक रुपये में से 16 पैसे होगा। जबकि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए आवंटन 8 पैसे है।

वित्त आयोग और अन्य हस्तांतरण पर व्यय 8 पैसे है। वहीं Subsidy और पेंशन मद में व्यय 6 पैसे और 4 पैसे होगा। सरकार हर रुपये में से 9 पैसे ‘अन्य व्यय’ मद में खर्च करेगी। लेकिन इस सभी चीजों का बेंको निवशंको और RBI के लिए क्या आसानियां होने वाली हैं
RBI के लिए आसानी

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट DK जोशी ने कहा, ‘JP मॉर्गन इंडेक्स में इंडिया बॉन्ड्स के शामिल होने के साथ Globle economy के साथ हमारा इंटीग्रेशन बढ़ रहा है। हमारे फिस्कल एकाउंट्स पर दुनिया का ध्यान बढ़ रहा है। ऐसे में फिस्कल डेफिसिट घटाना अच्छी बात है। कम फिस्कल डेफिसिट वाला बजट होने से महंगाई बढ़ने का चांस भी घटता है। ऐसा बजट आरबीआई का काम आसान कर देता है। तीसरी बात यह है कि प्राइवेट सेक्टर ही नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी उधार जुटाने की लागत घट जाती है। बॉन्ड यील्ड घटने से इसका पता चलता है।’ सरकार ने आरबीआई को जिम्मा दिया है कि महंगाई दर को 2 से 6 प्रतिशत के बीच रखा जाए। अभी रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर है। महंगाई घटने पर आरबीआई रेपो रेट घटा सकता है।

निवेशकों के लिए मौका
सक्षम वेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर समीर रस्तोगी ने कहा, ‘फिस्कल डेफिसिट घटना मैक्रो फंडामेंटल्स के लिए अच्छी बात है। इससे रुपये को भी सपोर्ट मिलेगा। यह बॉन्ड मार्केट के लिए तो अच्छा है ही, आने वाले दिनों में इक्विटी मार्केट्स को भी इससे फायदा होगा। सरकारी उधारी कम होने से इंटरेस्ट रेट घटने का चांस बढ़ गया है। निवेशकों के लिए काम की बात यह है कि जब भी ब्याज दरें घटेंगी, लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड्स पर मार्क टु मार्केट फायदा हो सकता है। अनुमान यही है कि इंटरेस्ट रेट घटने पर सात-साढ़े सात पर्सेंट वाला 10 साल का सरकारी बॉन्ड अगले एक साल में आपको 12-13 पर्सेंट का मार्क टु मार्केट प्रॉफिट दे सकता है।‘

कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ने से क्या होगा?
वित्त मंत्री ने FY25 के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर 11 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये करने का ऐलान किया। हालांकि रिवाइज्ड एस्टिमेट के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कैपेक्स 9.5 लाख करोड़ होगा, जो बजट एस्टिमेट से 50 हजार करोड़ रुपये कम है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘फिस्कल डेफिसिट का 5.1 पर्सेंट का टारगेट व्यावहारिक है। सरकार के पास जितनी राजकोषीय गुंजाइश है, उसमें से कैपेक्स के लिए पर्याप्त इंतजाम किया गया है। यह अडिशनल टोटल आउटले के करीब 40 प्रतिशत है। इंफ्रा पर खर्च बढ़ने से स्टील, सीमेंट और कैपिटल गुड्स इंडस्ट्रीज पर पॉजिटिव इफेक्ट दिखेगा। प्राइवेट सेक्टर इनवेस्टमेंट बढ़ाएगा। राज्यों को केंद्र से करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। इससे उनकी ओर से भी खर्च बढ़ने की संभावना है।’

Prachi Chaudhary

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