Uttar Pradesh Politics: आखिर क्यों अकाली और रालोद वाले काफी मुश्किल से गुजर रहे हैं ?
Uttar Pradesh Politics | why are Akali and RLD people going through a lot of trouble
Uttar Pradesh Politics: क्या रालोद वाले जयंत चौधरी बीजेपी के साथ चले गए हैं ? या जाने वाले हैं ? अभी तक इस पर खुलकर कोई नयी बात सामने नहीं आयी है। जब 9 फरवरी को Chaudhary Charan Singh को भारतरत्न उपाधि दी गई तो देश भर में खूब जोश और उल्लास मनाया गया था। यह बात और है कि उसी दिन दो अन्य विभूतियों को भी भारत रत्न से नवाजा गया था लेकिन चर्चा केवल चौधरी साहब की हो रही थी। इसके पीछे कारण यही था कि चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रह चुके है और सबसे बड़ी बात कि वे किसानो के बड़े नेता थे और जाट समाज में उनकी काफी बडी शकसियत भी थी। वेस्टर्न यूपी से लेकर हरियाणा तक की राजनीति और लगे हाथ राजस्थान की राजनीति को भी चौधरी साहब प्रभावित करते थे।
चौधरी साहब को भारत रत्न देकर बीजेपी ने गेम किया था। इसके जरिये बीजेपी ने वेस्ट यूपी को साधने की कोशिश की थी और साथ ही इंडिया गठबंधन से जयंत चौधरी को निकालने का खेल किया था। ऐसा हुआ भी। भारत रत्न की उपाधि जयंत के दादा जी को मिलने के बाद पत्रकारों ने जब जयंत से पूछा कि क्या आप एनडीए में जा रहे हैं तब उन्होंने जो जवाब दिया सबको परेशान कर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ कहने को रह ही नहीं गया है। किस मुँह से नकार दूँ। इसके बाद फिर से जयंत का कोई जवाब सामने नहीं आया। मान लिया गया कि जयंत बीजेपी के साथ जा रहे हैं।
बाद में यह भी खबर आयी या इस खबर को प्रकाशित करवाई गई कि जयंत को बीजेपी Lok Sabha की दो से तीन सीट देने जा रही है। एक Rajya Sabha की सीट भी देगी और इसके साथ ही योगी मंत्रिमंडल में दो लोगों को जगह भी दी जाएगी। कहने का मतलब यह कि जयंत को कोई नुकसान नहीं था।
लेकिन क्या यह सब तय हो गया ? जब चौधरी चरण सिंह Prime Minister थे तब बीजेपी और संघ के लोगों ने उन्हें कितना परेशान किया था यह भी जयंत को पता ही है। लेकिन चुकी राजनीति में यह सब चलता ही रहता है इसलिए इसकी चर्चा नहीं की जा सकती। लेकिन अब जबकि बीजेपी और RLD के बीच बातचीत के दो सप्ताह से ज्यादा हो गए हैं तब भी इस बीच क्या कुछ होता है इससे जुड़ी कोई भी खबर सामने नहीं आयी है।
बीजेपी तो इस मामले में पूरी तरह से मौन है। जयंत की परेशानी बढ़ती जा रही है। कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि जयंत फिर से india alliance में आ सकते हैं। लेकिन क्या अब यह इतना सहज है ? जयंत और बीजेपी के बीच आगे क्या कुछ होगा कोई नहीं जानता। लेकिन सवाल यह है कि अब जयंत का भविष्य क्या होगा यह कोई नही जानता। क्या जयंत के विधायक मंत्री बनेंगे ? क्या जयंत को लोकसभा की तीन सीटें मिलेंगी और क्या जयंत को जाट समुदाय के लोग वोट डाल सकेंगे यह सब देखने की बात होगी।
उधर Pubjab की कहानी भी कम गंभीर नहीं है। बीजेपी के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह अकाली के साथ बात कर चुके थे। अकाली को फिर से बीजेपी के साथ सम्बन्ध बनाना था। एनडीए के साथ आना था। कैप्टेन कहते भी थे कि वे बीजेपी और अकाली के सम्बन्ध के पक्ष में हैं। पीएम मोदी से भी इस बावत कैप्टन ने मुलाकात की थी। लेकिन सच तो यही है कि अभी तक कोई तालमेल की घोषणा नहीं हुई।
जानकार कहते हैं कि यह सब किसान आंदोलन की वजह से संभव नहीं हो रहा है। किसानों का मिजाज आगे क्या होगा उसको भांप कर ही कोई कदम उठा सकती है बीजेपी। और इधर अकाली और जयंत को फंसा कर रखा गया है। न तो जयंत ही कोई निर्णय ले पा रहे हैं और न ही अकाली ही कोई निर्णय ले पा रही हैं।