Manipur Violence Latesr Upadte: तमाम शांति के प्रयासों के बाद भी मणिपुर (Manipur) में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। हालांकि केंद्र से लेकर राज्य सरकार शांति के तमाम प्रयास करने की बात तो कर रही है लेकिन कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जो नफरत की दिवार खड़ी हो गई है वह टूट नहीं रही है। मणिपुर के कांगपोपकी जिले में एक बार फिर से हिंसा जारी है। आज सुबह ही प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों ने कुकी समुदाय के तीन लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी है। इस घटना के बाद हिंसक झड़पे और भी बढ़ गई है। उधर कुकी समुदाय के लोगों ने कहा है कि इस हिंसा का बदला लिया जाएगा। हम शांति से रहने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमें उकसाया जा रहा है।
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बता दें कि मणिपुर (Manipur) में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबल तैनात किये गए हैं लेकिन स्थानीय लोग इसकी परवाह किये बगैर हिंसक खेल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। आज की हिंसा के बारे में एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा है कि अभी तो हिंसा रुक गई है। हम लोगाें ने घटना स्थल पर पहुंच कर स्थिति को काबू में कर लिया है लेकिन जिस तरह से यहां के लोगों में गुस्सा भरा हुआ है उसे ख़त्म करना जरुरी है। अगर ये माहौल ख़त्म नहीं हुआ तो ये हिंसक झड़पे बढ़ती जा सकती है। कोई भी समुदाय कुछ बात सुनने को तैयार नहीं है और मौका मिलते ही एक दूसरे पर हमला करने से बाज नहीं आते।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ मंगलवार की सुबह में कई उग्रवादी एक जगह इकठ्ठा हुए और पहले आपस में लड़ने लगे और फिर गोलीबारी शुरू हो गई। इस गोलीबारी में तीन लोग मारे गए। तीनों कुकी समुदाय से थे। हमलावर एक वाहन में सवार होकर इंफाल से आये थे। बता दें कि यह गांव पहाड़ों पर बसा है और यहां आदिवासी लोगों का वर्चस्व है।
मणिपुर (Manipur) में हिंसा लगातार जारी है। पिछले आठ सितम्बर को भी तेनगोपाल इलाके में हिंसा भड़क गई थी इसमें भी तीन लोगों की जान चली गई थी और झड़प में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इन घायलों में कइयों की हालत बेहद ख़राब हो गई थी। बता दें कि मणिपुर में मई महीने से ही हिंसा जारी है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच खूनी खेल चल रहा है। कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। आयोग भी गठित हुए। आयोग की रिपोर्ट भी सामने आयी हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका है।
मणिपुर में जारी हिंसाा को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है और राष्ट्रपति शासन की मांग भी कर रहा है लेकिन सरकार न तो मुख्यमंत्री से इस्तीफा ले रही है और न ही राष्ट्रपति शासन लगा रही है। मणिपुर जल रहा है। बड़ी संख्या में लोग मणिपुर (Manipur) से बाहर निकलते जा रहे हैं लेकिन जो बाहर निकल रहे हैं उनकी हालत तो और भी दयनीय है। हजारों लोग शिविरों में रह रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई ख़त्म हो गई है और बूढ़ें और महिलाओं की हालत बेहत ख़राब होती जा रही है।