Chandrayaan-3: भारत आज चंद्रयान -3 मिशन को लॉन्च करने जा रहा है। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा. Chandrayaan-3 की चंद्रमा पर उतारने की ज़िम्मेदारी महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल (Ritu Karidhal) को दी गई है.
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दरअसल आज शुक्रवार का दिन भारत के लिए बेहद खास रहने वाला है. इसरो का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस मिशन पर दुनिया के वैज्ञानिकों की नजर है। भारत आज शुक्रवार को 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग करेगा. लेकिन सबसे अहम बात ये है कि इस मिशन को फ्रंट से लीड कर रही हैं ‘rocket woman नाम से मशहूर space scientist ऋतु करिधाल श्रीवास्तव. कौन है ऋतु करिधाल, जिसको अहम मिशन की जिम्मेदारी दी गई है. आइये इस लेख के जरिए जानते है.
आपके बता दें मिशन Chandrayaan-3 की लैंडिंग की ज़िम्मेदारी महिला वैज्ञानिक ऋतु करिधाल को सौंपी गई है ऋतु करिधाल लखनऊ की रहने वाली है और उन्होनें विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय महिलाओं की बढ़ती धाक की मिसाल कायम की हैं और अब मिशन Chandrayaan-3 के साथ कामयाबी की तरफ एक और उड़ान भरेंगी. बता दें मंगलयान मिशन की कुशलता को देखते हुए ऋतु करिधाल श्रीवास्तव को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. मंगलयान मिशन (Mangalyaan Mission) की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर (deputy operations director) रह चुकी ऋतु उस वक्त सुर्खियों में आईं, जब मिशन Chandrayaan-2 में उन्होंने मिशन डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली थी.
कई पुरस्कार जीत चुकीं ऋतु करिधाल
ऋतु ने लखनऊ यूनिवर्सिटी (lucknow university) से भौतिकी में MSC की है. इसके बाद ऋतु ने बेंगलुरू के भारतीय विज्ञान कॉलेज में एडमिशन लिया. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ऋतु ने सबसे पहले ISRO में नौकरी करने की शुरुआत की. बता दें 2007 में ऋतु को “Young scientist award” भी मिल चुका है. Dr APJ Abdul kalam युवा वैज्ञानिक पुरस्कार mars arbitrator mission के लिए ISRO टीम पुरस्कार, ASI टीम पुरस्कार, सोसाइटी ऑफ इंडियन एरोस्पेस टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्रीज (Society of Indian Aerospace Technologies & Industries ) की तरफ से एरोस्पेस महिला उपलब्धि पुरस्कार हासिल कर चुकी है. ऋतु को Rocket Woman भी कहा जाता है.
Chandrayaan-3 में इस बार नही जाएगा orbitor
लेकिन इस बार Chandrayaan-3 में ऑर्बिटर की जगह Indigenous Propulsion Module भेज रहे हैं. यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की सतह पर जाकर चंद्रमा के चारों तरफ 100 km की गोलाकार में चक्कर लगाता रहेगा.