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क्या झारखंड में नयी सरकार बनने के बाद सब कुछ ठीक रहेगा ?

JharKhand Political News: पहले बिहर में खेल हुआ और फिर खेल झारखंड में शुरू किया गया। बिहार में खेल किसने किया और क्यों किया यह तो जांच का विषय है। कोई भी नेता असली कारण को नहीं बता रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बातों पर कोई यकीं करने की जरुरत नहीं है। इस्तीफा देने और फायर तुरंत सीएम बनने के बाद उन्होंने जो कुछ भी कहा था उन बातों में कोई दम नहीं नहीं है। वे जो बोल रहे थे उस बात की गवाही उनका मन भी नहीं किया होगा। फर उनकी बात में कोई ओज भी नहीं था और न ही कोई अहम् कारण। जब नीतीश कुमार प्रेस के सामने अपनी बात रख रहे थे तह उनका पूरा आभा मंडल ख़त्म था। जब पहले वे बोलते थे तो पुरे कॉन्फिडेंस में रहते थे लेकिन अबकी बार उनका कॉन्फिडेंस ख़त्म हो गया था। जाहिर है वे बदल गए थे। उनका इकबाल ख़त्म हो गया था। इसलिए नहीं कि वे इंडिया गठबंधन को छोड़कर बीजेपी के साथ जा रहे थे। बल्कि इसलिए कि वे खुद को पलटू राम घोषित कर रहे थे। अब उनकी बातों का कौन इज्जत रखेगा ? कोई विश्वास करेगा उनपर ? शायद कोई नहीं।


कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि बीजेपी के पास उनके खिलाफ भी कोई बड़ा सबुत है। यह सबूत क्यों है और कैसा है यह कोई नहीं जानता। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि कोई सीडी भी बीजेपी के पास है। ऐसा हो भी सकता है और नहीं। लेकिन इतना तो साफ है कि इस बार नीतीश कुमार बीजेपी के बुलावे पर नहीं गए हैं। वे खुद गए हैं। थूक चाटकर गए हैं। उधर बीजेपी भी थूक चाटने क काम किया है। बीजेपी के बड़े नेट बार -बार कहते रखे कि नीतीश के लिए दरबाजे बंद हो चुके हैं फिर भी बीजेपी ने उन्हें लिया। आखिर झूठा कौन है। मतलबी कौन है और फिर जनता के साथ धोखा कौन कर रहा है ?कोई जवाब दे सकता है ?
खैर बिहार का ऑपरेशन तो पूरा हो गया। अब झारखंड की बारी है। चम्पई सोरेन नए मुख्यमंत्री बने हैं। चम्पई के साथ दोअन्य विधायक आलमगीर आलम और भोक्ता भी शपथ लिए। बाकी के विधायक रांची से बहार चले गए हैं। जिस समय चम्पई सोरेन शपथ ले रहे थे उसी समय चरतारद प्लेन से गठबंधन के 40 विधयक हैदराबाद उतर रहे थे। .अब ये सभी विधायक रांची तब ही लौटेंगे जब सरकार कॉन्फिडेंस लेगी। झामुमो को लगता है कि अगर विधायक को रांची में रोका गया तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि विधायकों को तोडा जा सकता है।


उधर ,बीजेपी भी इस ताक में है कि मौका मिले की खेल कर दिया जाए। बीजेपी चाहती है कि लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड की राजनीति उसके हाथ में आ जाए। लोकसभा की सभी 14 सीटें उसके पास हो और इसके लिए बीजेपी को अपने अनुकूल खेल करना है।
हेमंत सोरेन के साथ आगे क्या होगा यह देखना बाकी है लेकिन इस बात की सम्भावना अभी बनी हुई है कि झारखंड में अभी सब कुछ खतम नहीं हुआ है। वहां कुछ भी हो सकता है। और बीजेपी आत्म समय तक मानने को तैयार भी नहीं है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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