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वाह रे डॉक्टर साहब! 14 बच्चों को HIV-हेपेटाइटिस संक्रमित ब्लड चढ़ा दिया, कब होगी कार्रवाई ?

Kanpur Hospital Laparwahi: जिन डॉक्टर्स को हम भगवान मानते हैं, अगर वही डॉक्टर हैवान बन जाएं, तो फिर समाज में क्या संदेश जाएगा। कौन भरोसेगा करेगा उन डॉक्टर्स पर जिनको हिंदुस्तान में पूजा जाता है। जब किसी बच्चे की तबियत खराब होती है, तो बच्चे की मां को भगवान से भी ज्यादा उस डॉक्टर पर भरोसा होता है। जो उसके बच्चे का इलाज कर रहा है।विश्वास होता है कि डॉक्टर उसके बच्चे को बचा लेगा,लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे हैं… जो जिंदगी के बजाय मौत बांट रहे हैं। जो समाज को कलंकित करने का काम कर रहे हैं। जो मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल, कानपुर का सरकारी अस्पताल एक फिर से कालंकित हुआ है। डॉक्टरर्स की लापरवाही की वजह से 14 मासूम बच्चों की जिंदगी दांव पर है। मां-बाप के जिगर का टुकड़ा अस्पताल के बेड पर जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी और परिजनों में गुस्सा और उदासी है। परिजन भगवान से भी दुआ कर रहे हैं और उन डॉक्टर्स से भी मिन्नते कर रहे है कि पैसा, दौलत सब ले लो, बस उनके बच्चों की जिंदगी बचा लो लेकिन साहब कोई भी इन परिजनों की सुनने को तैयार नहीं है। दरअसल, आपको बता दें कि कानपुर के सरकारी अस्पताल में 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे की बच्चे HIV की चपेट में आ गए हैं। ये मासूम अब एड्स और हेपेटाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियों की चपेट में भी आ चुके हैं। यानी की बच्चों को कुछ भी हो सकता है।अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इतनी बड़ी लापरवाही जिम्मेदार कौन है। कौन हैं वो डॉक्टर्स जो आंख बंद करके काम कर रहे थे। कौन हैं वो जो अस्पताल में ‘मौत का खेल’ खेल रहे हैं। आखिर इतनी बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार कौन है। कौन है वो जिसकी वजह से आज ये मासूम जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं। आखिर कब होगी ऐसे लापरवाह डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई।


दरअसल, आपको बता दें कि कानपुर के मेडिकल कॉलेज में बच्चों को खून चढ़ाने से पहले उनका टेस्ट नहीं किया गया था। जो कि एक भारी लापरवाही थी। हालांकि इस पूरे मामले को मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने खारिज कर दिया है। इस बात का खुलासा 5 दिन पहले हुआ। जब कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज यानी हैलट अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित 180 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई।
स्क्रीनिंग में 12 बच्चे हेपेटाइटिस और 2 बच्चे HIV पॉजिटिव पाए गए। जिससे की बच्चों के परिजनों में हाहाकार मच गया। ये सभी मासूम बच्चे दिल्ली, कानपुर, फतेहपुर, कन्नौज के रहने वाले बताए जा रहे हैं। हैलट अस्पताल के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार आर्या ने इस पूरे मामले की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को संक्रमित ब्लड कहां चढ़ाया गया है, यह स्पष्ट नहीं हैं। उधर, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने ये दावा किया है कि उनके अस्पताल में किसी भी बच्चे को ब्लड नहीं चढ़ाया गया है। प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने तो ये भी कहा कि डॉ. आर्या के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है, यानी की जिन डॉक्टर ने इस पूरे मामला का खुलासा किया अब उसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।


मामला सामने आने के बाद इश पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक्शन मोड में नजर आए। लेकिन वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और सपा सियासी रोटियां सेंकने में लग गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार को घेरा। तो वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी सरकार पर जमकर हमला बोला औऱ ट्वीट कर लिखा कि इस घातक गलती की सख्त से सख्त सजा दी जाए।

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