Karnataka News: कांग्रेस की आंधी में कर्नाटक की जनता ने बीजेपी को उड़ा दिया। बीजेपी कोई खेल कर न सकी। बीजेपी ने कर्नाटक को जितने के लिए अपने सारे घोड़े खोल रखे थे लेकिन कोई कमल नहीं दिखा सका। पीएम मोदी और शाह ने दर्जनों रैलियां ,सभाएं और रोड शो किये ,सब बेकार ,बेअसर साबित हुए। जहाँ -जहां इन बड़े नेताओं ने पैर रखे वहां की जमीन खिसकती चली गई। अधिकतर उन सीटों पर बीजेपी की हार हुई है जहाँ पीएम मोदी और शाह ने प्रचार किया था। कई तरह के बोल कहे थे। कई आशाएं जगाई थी और कांग्रेस को खूब कोसा था। उन्हें लगा था कि उत्तर भारत की राजनीति यहां भी काम करेगी ,लोग उनके जाल में फंस जाएंगे। राष्ट्रवाद ,धार्मिक उन्माद और हिंदुत्व की राजनीति यहाँ भी सफल होगी लेकिन कर्नाटक ने इसे स्वीकार नहीं किया। ऊपरी तौर पर भले ही कहें कि कर्नाटक में बीजेपी की हार हुई है लेकिन सच यही है कि यहाँ मोदी और शाह की बड़ी हार हुई है। उन्ही के चेहरों पर चुनाव जो हुए थे।
अब यूपी के सीएम योगी की बात भी कर ली जाए। कर्नाटक में प्रचार करने योगी जी भी पहुंचे थे। हलाकि उनके सर पर यूपी के निकाय चुनाव की भी जिम्मेदारी थी। दो बार कर्नाटक पहुंचे। खूब सभाएं की। करीब 9 विधान सभा क्षेत्रों में उनकी सभाएं लगाई गई। रोड शो भी हुए। भीड़ भी जुटी लेकिन योगी का आकर्षण नहीं रहा। योगी जी 9 विधान सभा में प्रचार किये थे लेकिन वहाँ बीजेपी को सिर्फ दो सीटों पर ही जीत हासिल हुई है। 6 सीटें कांग्रेस के हाथ लगी जबकि एक सीट स्थानीय पार्टी को मिली। कह सकते हैं कि योगी जी का करिश्मा वह फेल ही हुआ।
लेकिन योगी जी का कमाल यूपी निकाय चुनाव में देखने को मिला। निकाय चुनाव में बीजेपी का जो प्रदर्शन ही ,अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन है। इससे पहले इतनी बड़ी जीत निकाय चुनाव में बीजेपी को नहीं मिली थी। इस जीत का पूरा श्रेय सीएम योगी को ही जाता है। इस जीत का श्रेय कोई और नहीं ले सकता।
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लेकिन यूपी की इस जीत ने एक और बड़ा सवाल खड़ा किया है। कोई भी कह सकता है कि योगी ने अपने दम पर निकाय चुनाव में फतह किया है। लेकिन अब यह कोई नहीं कह सकता कि मोदी और शाह के नाम पर भी कोई चुनाव जीता जा सकता है। साफ़ शब्दों में कहे तो मोदी शाह से ज्यादा असरदार योगी का चेहरा स्थापित हो रहा है। जानकर कह रहे हैं कि संघ भी योगी की ताकत को बढ़ाने लगे हैं। संघ को भी लग रहा है कि समय के साथ अगर बदलाव नहीं किये गए तो आगे की राजनीति मुश्किल हो सकती है। कम से कम यूपी में योगी एक बड़े ताकत हैं और उनका चेहरा आज भी हिंदुत्व को लेकर स्थानीय जनता में टिकाऊ है। जानकर यह भी कहते हैं कि जिस तरह से कर्नाटक में मोदी और शाह के चेहरे पर लड़ाई हुई और कर्नाटक में बीजेपी की हार हुईलेकिन इसके उलट यूपी निकाय चुनाव में योगी के चेहरे की जीत की जीत हुई है। जाहिर है योगी का चेहरा आज सबसे स्थापित चेहरा बनता ज रहा है। ऐसे में की लड़ाई में शाह की परेशानी ज्यादा बाढ़ सकती है। मोदी के बाद कौन की राजनीति में शाह से आगे निकलते दिख रहे हैं योगी।