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 IIT Kanpur की बड़ी सफलता, अब जब चाहे तब करवा सकते हैं बारिश

Artificial Rain IIT Kanpur: IIT Kanpur द्वारा एक अनोखा प्रयोग किया गया है जिसके तहत अब बारिश के लिए इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। बल्कि अब जब चाहे तब बारिश करवाई जा सकती है। ये संभव कैसे हो पाया जानें आज के इस आर्टिकल में

23 जून को आईआईटी कानपुर ने बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों, लखनऊ के प्रदूषण को कम करने के लिए एक प्रयोग किया। जिसमें सूखा और प्रदूषण जैसी समस्या को कम करने के लिए बारिश का इंतजार न करना पड़े इसके लिए एक प्रयोग किया गया जिसके तहत IIT Kanpur ने कृत्रिम बारिश का परीक्षण किया। बीते सोमवार 19 जून को डीजीसीए (DGCA) की अनुमति के बाद आईआईटी ने 5000 फीट के ऊपर कृत्रिम बारिश का ट्रायल किया।

ये परीक्षण करने के लिए आईआईटी ने स्वयं के प्लेन में क्लाउड सीडिंग का अटैचमेंट लगाकर एक केमिकल का छिड़काव किया। इस परीक्षण के दौरान 15 मिनट तक प्लेन संस्था के ऊपर ही चक्कर लगाता रहा।

आपको बता दें कि आईआईटी कानपुर में क्लाउड सीडिंग का ये प्रोजेक्ट 2017 से चल रहा है। लेकिन कोरोना काल की वजह से इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था क्योंकि इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका से कई अटैचमेंट मंगवाने थे।

लेकिन अब एक बार दोबारा इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया और एयरक्राफ्ट में लगी डिवाइस से सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ, साधारण नमक से बने हुए केमिकल का फायर किया गया। प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल द्वारा इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया जा रहा है।

प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि, प्लेन के पंखों में डिवाइस लगाई गई, जिससे केमिकल का छिड़काव किया गया। इसकी वजह से बारिश नहीं हुई, क्योंकि बादलों के अंदर क्लाउड सीडिंग नहीं की गई थी। लेकिन परीक्षण सफल रहा। ये परीक्षण इस मायने में रहा कि क्लाउड सीडिंग के लिए संस्थान तैयार है। आने वाले कुछ हफ्तों में एक फिर से क्लाउड सीडिंग का यह परीक्षण किया जाएगा।

प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने एक और ट्वीट कर बताया कि बारिश नहीं हुई क्योंकि हमने बादलों में फ्लेयर्स को फायर नहीं किया। ये उपकरण के लिए एक ट्रायल था। लेकिन ये टेस्टिंग सफल रही। अब हम अगले चरणों में क्लाउड सीडिंग चलाने के लिए तैयार हैं। यह परीक्षण DGCA की अनुमति के बाद हुआ है। इस प्रोजेक्ट पर हम बीते कई सालों से कार्यरत है। कोरोना के कारण इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था। इस परीक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई वर्ष पहले ही इजाजत दे दी थी।

एक अन्य ट्वीट में प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि आईआईटी कानपुर ने एक यूनिक एक्पेरिमंट पूरा किया है। क्लाउड सीडिंग की ये टेस्टिंग प्रक्रिया सफल रही है। आपको बता दें कि परीक्षण के लिए ये कृत्रिम बादल सेना के एयरक्राफ्ट के जरिए बनाए गए, जो यूएस में तैयार किया गया है।

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