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CBI Notice Akhelish Yadav: और अब सपा मुखिया अखिलेश यादव पर कसा सीबीआई का शिकंजा

CBI Notice Akhelish Yadav | Uttar Prades latest News | Breaking

CBI Notice To Akhelish Yadav: लोकसभा चुनाव से पहले अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर सीबीआई का (CBI Notice Akhelish Yadav) शिकंजा कस गया है। सीबीआई ने अखिलेश यादव को नोटिस भेजा है और कहा है कि वह 29 फरवरी को सीबीआई के सामने पेश हों। बता दें कि अखिलेश यादव पर खनन के एक मामले में नोटिस भेजा गया है।

गौरतलब है कि यह मामला पांच साल पुराना है। अवैध खनन के मामले में पांच साल पहले यह मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में अखिलेश यादव भी एक गवाह हैं। अब सीबीआई इस मामले में उनसे पूछताछ करना चाहती है। सीबीआई के (CBI Notice Akhelish Yadav) मुताबिक अखिलेश यादव को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी किया गया है, और उन्हें 29 फरवरी को पेश होने को कहा गया है। इस धारा के तहत सीबीआई को गवाह को बुलाने की अनुमति होती है।

यह मामला 2019 में दर्ज हुआ था। आरोप है कि 2012 -16 के दौरान जब जब अखिलेश यादव यूपी के सीएम थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के बावजूद अवैध रूप से लइसेंस का नवीनीकरण किया गया। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनन की चोरी होने दी और पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूल किये गए।

खनिजों के इस अवैध खनन मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई (CBI Notice Akhelish Yadav) ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किये थे। अधिकारियों के मुताबिक एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि यादव जिनके पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था ,ने ई -निविदा प्रक्रिया का उलंघन करते हुए 14 पत्तों की मंजूरी दी थी।

सीबीआई का दावा है कि 17 फरवरी 2013 को 2012 की ई -निविदा नीति का उलंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद हमीरपुर की जिला अधिकारी बी चन्द्रकला द्वारा पत्ते दिए गए थे। एजेंसी ने 2012 -16 के दुराण हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में बी चन्द्रकला ,सपा के विधान परिषद् सदस्य रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी के सम्बन्ध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी।

इस मामले में अखिलेश यादव को संदेह के घेरे में रखा गया है। क्योंकि उस दौरान वे प्रदेश के सीएम थे और 2012 -13 में खनन विभाग उनके पास ही था। फिर 2013 में गायत्री प्रजापति को खनन विभाग दिया गया था।

लेकिन अब जानकार यह मान रहे हैं कि पांच साल पुराने इस मामले को अब केंद्र सरकार सीबीआई के (CBI Notice Akhelish Yadav) जरिये अखिलेश यादव को फंसाने के फेर में है। हालांकि अखिलेश यादव सीबीआई के सामने पेश होंगी या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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