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Chhath Puja 2022: कब से शुरु है छठ पूजा, जानें नहाय-खाय खरना और सूर्य अर्घ्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें और कथा का क्या है महत्व?

नई दिल्ली: छठ पूजा (Chhath Puja 2022) का पर्व का कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है. यह पर्व हमेशा से दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. संतान की दीर्घायु, सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए महिलाएं छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. आइए जानते हैं इस साल कब से शुरू हो रही है छठ पूजा और सूर्योदय का समय क्या है.

यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा (Chhath Puja 2022) की शुरुआत 28 अक्टूबर शुक्रवार से हो रही है। 29 अक्टूबर को खरना है। 30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, उसके अगले दिन सुबह यानी 31 अक्टूबर को उदयगामी यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा।

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छठ पूजा का पहला दिन

नहाय- खाए- 28 अक्टूबर 2022

दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह (Chhath Puja 2022) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है. 28 अक्टूबर 2022 से छठ पूजा का आरंभ होगा. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है.

दूसरा दिन

खरना- 29 अक्टूबर 2022

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं. इस दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है.

तीसरा दिन

डूबते सूर्य को अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा (Chhath Puja 2022) की मुख्य तिथि होती है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं.

सूर्यास्‍त का समय: शाम 5 बजकर 37 मिनट.

चौथा दिन

उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022

चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल (Chhath Puja 2022) सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.

सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर

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