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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में मनोरंजक राजनीतिक खलबली !

Ram mandir Ayodhya: ईश्वर में आस्था सनातनी परंपरा के लिए ख़ास बात है। जो सनातनी है वह ईश्वर को भी मानता ही है। ईश्वर के बिना सनातन कैसा? धार्मिक क्रिया कलाप तो ईश्वर के नाम पर ही होते हैं। ईश्वर नहीं तो धर्म कैसा ? और जब धर्म है तो ईश्वर को कौन नहीं मानेगा ? फिर प्रभु राम तो हमारे आराध्य हैं। भारत में राम को कौन नहीं पूजता ? सब उनके ही तो उपासक है। राम नहीं तो संसार नहीं। और जब संसार है तो राम कैसे नहीं ? कोई भी धर्म ईश्वर के बिना संभव नहीं। यह भी सत्य है कि सारे ईश्वर एक ही है। उनके नाम अलग -अलग हो सकते हैं। उनकी पहचान धर्म के आधार पर की जा सकती है। उनके भजन और गीत अलग-अलग हो सकते हैं। उनकी उपासना पद्धति अलग हो सकते हैं लेकिन ईश्वर को भला कौन नहीं मानता ! हम सब ईश्वर की ही तो संतान है। हाँ जाति ,धर्मो की राजनीति भले ही करते हों लेकिन ईश्वर को सब मानते हैं। और प्रभु राम तो हमारे आराध्य जो है। वो हैं तो सनातन जीवित है। उनकी कल्पना मात्र से मानव रूपी जीव का उद्धार हो जाता है।

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अयोध्या धर्म नगरी है। वह प्रभु राम का जन्मस्थान है। प्रभु राम दशरथ नंदन हैं। माता कौशल्या उनकी माता है और उनकी भार्या माता सीता हैं। भक्त हनुमान उनके सेवक है तो चारो भाई इस संसार के रक्षक। अयोध्या में प्रभु राम का भव्य मंदिर तैयार हो रहा है। अब उस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। 22 जनवरी को भव्य समारोह के साथ ही मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगी। देश दुनिया के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। भारत के लोग जहाँ -जहाँ रह रहे हैं उन्हें आमंत्रित किया जा रहा है। मकसद यही है कि सभु भारतवासी अपने आराध्य को देखें और उनका आशीष ग्रहण करें। सनातन आगे बढे और प्रभु राम की महिमा सब पर बनी रहे।

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22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होने जा रहा है। अयोध्या सज रहा है। वहां के सभी मंदिरों को सजाया जा रहा है। नए मंदिर का निर्माण जोड़ो पर हैं। हजारों लोग इस काम को अंजाम दे रहे हैं। इस कार्यक्रम में सबकी सहभागिता हो इसके लिए देश भर में अलख भी जगाया जा रहा है। आम जन से लेकर खास लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। अयोध्या में लोग पहुंचे इसके बड़े इंतजाम किये जा रहे हैं। किसी को कोई भी असुविधा न हो इसकी व्यवस्था की जा रही है। ख़ास लोगों को निमंत्रित किया जा रहा है। नेताओं ,साधू ,संतो और कारोबारियों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। देवताओं को भी आमंत्रित किया जा रहा है। भक्तों को भी सदर बुलाया जा रहा है। लेकिन इसमें राजनीति भी चल रही है। राजनीति इस बात की है कि इस भव्य आयोजन का आखिर श्रेय कौन ले ?
जब प्रभु राम सबके हैं और सबके पास उनकी कृपा बराबर की है तब राजनीति कैसी ? लेकिन राजनीति तो अपने हिसाब से चलती है। उस राजनीति में खेल होता है और खेल का मतलब सीधा है लाभ और हानि। लाभ चुनावी मकसद से जुड़ा होता है। और जहाँ लाभ की बात हो तो वहाँ खेल के पाशे कई तरह के होते हैं। पाशे को कोई सांझे या नहीं। संतो को इन पाशों से भले ही कोई मतलब नहीं हो लेकिन नेताओं को तो मतलब रखना होता है। लगता है प्रभु राम भी इस खेल से चकित है।
देश के भीतर मंदिर समारोह में पहुँचने के लिए निमंत्रण भेजे जा रहे हैं। कौन आएगा और किसे नहीं बुलाया जाना है इसमें भी राजनीति चल रही है। बीजेपी मंदिर निर्माण का श्रेय ले रही है। जबकि मंदिर का निर्माण डालती फैसले से हो रहा है। बीजेपी कहती है कि प्रभु राम की लड़ाई को उसने ही लड़ा है। लेकिन भगवान् की लड़ाई को भला कौन लड़ सकता है ? इधर विपक्षी पार्टियां अपनी रोटी सेक रही है। सबके मन में कुछ न कुछ सवाल है। नजर इस बात पर है कि इस समारोह में किसे निमंत्रण मिलता है और किसे नहीं। देश की जनता भी यह टाक रही है कि इस समारोह में कौन आता है और कौन नहीं।


मंदिर ट्रस्ट ने अब विपक्ष को भी आमंत्रण देना शुरू किया है। जानकारी के मुताबिक सोनिया गाँधी को भी आमंत्रण पत्र भेजा गया है। खड़गे को भी भेजा गया है। अधीर रंजन चौधरी को भी भेजा गया है। हालांकि चौधरी ने कहा है कि अभी उसे कोई भी निमंत्रण पत्र नहीं मिला है। निमंत्रण मिलेगा तो वे जाएंगे। प्रभु राम का दर्शन करेंगे। उधर मनमोहन सिंह ,देवगौड़ा को भी निमंत्रण भेजा गया है। खबर ये भी है कि बाकी दलों के नेताओं को भी जल्द ही निमंत्रण कार्ड भेजा जाएगा। सबको आस जो लगी है। आखिर भगवान् से दुराव कौन कर सकता है। सब के सब उनके ही तो हैं।
बीजेपी की नजर आम चुनाव पर है। प्रभुराम का खूब आशीष बीजेपी को मिला है। मंदिर आंदोलन ने सनातनी को साथ लाया और बीजेपी की झोली भर्ती चली गई। क्या बीजेपी इसे इंकार कर सकती हगाई। आगामी लोकसभा चुनाव भी बीजेपी के लिए एअक अवसर है। इस अवसर को पूरा करने के लिए बीजेपी इसे राजनीतिक नजरिए से भी देख रही है। उसे लग रहा है कि जो लोग अयोध्या आएंगे ,प्रभु राम का दर्शन करेंगे वह जरूर बीजेपी को इस बार वोट देंगे। बीजेपी की यही आस है। उधर विपक्ष वाले भी गुना भाग लगा रहे हैं। लाभ हानि देख रहे हैं। समारोह में जाना चाहिए या नहीं इसे परख रहे हैं। लेकिन सच तो यही है कि प्रभु राम का दरबार सबको बुला रहा है। वे जगत के स्वामी जो हैं। उनके मन में भेद कहाँ ? वह सबके हैं और किसी के भी नहीं। अयोध्या सबका है और किसी का भी नहीं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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