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Human Being Can Write His Own Destiny; मनुष्य अपना भाग्य खुद लिख सकता है, जानिए कैंसे

Human Being Can Write His Own Destiny: अपना भाग्य व्यक्ति खुद लिखता है और अपने मुकाम को हासिल करता है। कई लोग बोलते हैं कि ईश्वर द्वारा भाग्य लिखा जाता है तो कुछ लोग कहते हैं ग्रह-नक्षत्र द्वारा भाग्य तय होता है। लेकिन इंसान अपना भाग्य खुद लिखता है, वह अपनी मेहनत और ईमानदारी से अपना भाग्य बदल सकता है और कार्यों को करता है।

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ग्रह-नक्षत्र और भाग्य के बारे में अनेक धारणा एवं मान्यता प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि भाग्य ईश्वर के द्वारा रचित है, तो कुछ लोग मानते हैं कि ग्रह-नक्षत्र हमारा भाग्य तय करते हैं तो कुछ कहते हैं कि भाग्य हमारे द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर बनता है। मनुष्य शुभाशुभ कर्म करता है, भगवान मनुष्य को उसके कर्मानुसार फल देता है और ग्रह-नक्षत्र कर्मफल की सूचना देने के माध्यम हैं।

कैसे बनता है किसी भी मनुष्य का स्वयं भाग्य
इंसान अपने भाग्य को स्वयं बनाता है, ज्योतिष विद्या की गणनाऐं मनुष्य के भाग्य और सुख-दुख के बारे में सूचना देती हैं। यदि देखा जाए तो व्यक्ति पूर्व में जो कर्म करता (Human Being Can Write His Own Destiny)
है, उसका फल भाग्य के रूप में उसे देर-सवेर प्राप्त होता है, यानी कि, किसी भी व्यक्ति के भाग्य को उसके द्वारा पहले किए गए कर्मों का प्रतिफल कहा जा सकता है। कर्म फल कितने समय बाद भाग्य बनता है, इस प्रश्न के उत्तर को एक छोटे से उदाहरण के माध्यम से जाना जा सकता है। मान लीजिए आज आपने 75000 रूपए खर्च करके कोई सामान खरीदा और आपसे पूछा जाए कि यह 75000 रूपए आपने कब कमाए थे, तो यह बता पाना आपके लिए मुश्किल होगा। हो सकता (Human Being Can Write His Own Destiny) है कि यह रकम आपने एक साथ कमाई हो या हर महीने थोड़ा-थोड़ा करके कमाई हो। इसी प्रकार किए गए कर्मों को भाग्यफल बनने के लिए कभी-कभी कुछ समय की आवश्यकता पड़ती है और कभी कर्म फल तत्काल प्राप्त होता है, यही विधि का विधान है। पूर्व में शुभ-अशुभ कर्मों के फल को एकत्र कर भविष्य की घटनाओं का सृजन होता है, हर व्यक्ति अपना भाग्य अपने कर्मों द्वारा स्वयं ही लिखता है। कर्म सिद्धांत एवं मान्यताओं के मुताबिक (Human Being Can Write His Own Destiny)

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कर्म और भाग्य का चक्र 1 जन्म तक सीमित नहीं है, पुनर्जन्म इसी का एक हिस्सा है, इसीलिए प्राचीन लाल किताब में कहा गया है

प्रत्येक इंसान अपनी किस्मत के हाथों मजबूर है, और किस्मत की कलम, विधाता के हाथों में (Human Being Can Write His Own Destiny)
है। ईश्वर की यह कलम जो इंसान की किस्मत का निर्धारण करती है, इंसान के खुद के कर्मों पर निर्धारित होती है। लाल किताब कहती है कि किस्मत के लेख का झगड़ा, न तो किस्मत का है और न ही अक्ल (बुद्धि) का है, बल्कि इनका समन्वय ही मानव जीवन है। कर्मों के द्वारा ही भाग्य में परिवर्तन लाया जा सकता है, पिछले जन्म के कर्म और इस जन्म के कर्म दोनों के मिले-जुले संयुक्त परिणाम को भाग्य (Human Being Can Write His Own Destiny) कहा जाता है।

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अगर पिछले जन्म के कर्मों के फलस्वरुप दुख प्राप्त करना लिखा है, तो इस जन्म में दान-पुण्य, उपाय, ईश्वर आराधना एवं अन्य शुभ कर्मों को करने से दुख में कमी लाई जा सकती है। अशुभ फल को पूर्णतः खत्म नहीं किया जा सकता, बल्कि कुछ सुनिश्चित उपायों द्वारा उनकी दिशा को परिवर्तित किया जा सकता है। कुछ नए शुभ कर्मों द्वारा बुरे कर्मों से प्राप्त होने वाले परिणाम के बीच कोई मजबूत अवरोध खड़ा कर दिया जाए तो शुभ कर्मों से बनी दीवार से मुसीबतें टकराकर निष्फल हो जाती हैं। उचित दिशा में सही कर्म करने से भाग्य बदलने लगता है, बस हमें सही कर्म करने का रास्ता, सही तरीका, सही विधि, सही समय का पता होना (Human Being Can Write His Own Destiny) चाहिए। इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प इंसान को रंक से राजा बन सकता है और एक अज्ञानी को महाज्ञानी इसलिए अगर भाग्य बदलना हो तो सबसे पहले अपनी इच्छा शक्ति और संकल्प को मजबूत करें और सही दिशा में किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में कर्म करें, निश्चित ही सफलता आपको प्राप्त होगी। मजबूत इच्छा शक्ति एवं दृढ़ संकल्प के द्वारा जीवन (Human Being Can Write His Own Destiny) को निश्चित रूप से बदला जा सकता है।

Prachi Chaudhary

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