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लिंगायतों के पांच फीसदी वोट कांग्रेस में खिसक गए तो बीजेपी हार सकती है !

Karnataka Elections 2023: लिंगायत समाज और उनके मठों तक जिस तरह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) की पहुंच बढ़ रही है ,बीजेपी(BJP) की चिंता बढ़ती जा रही है। बीजेपी की चिंता इस बात की है कि चाहे जो भी हो जाए कांग्रेस के साथ लिंगायत वोट नहीं खिसके। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो बीजेपी का खेल ख़राब हो सकता है। यही वजह है कि बीजेपी के तमाम बड़े नेता जो चुनावी मैदान में डटे हुए हैं ,उनकी कोशिश सिर्फ यही है कि लिंगायत वोट बैंक(Vote bank) में कांग्रेस सेंध न लगा पाए।लेकिन सच तो यही है कि इस बार के चुनाव में लिंगायत वोट में कांग्रेस सेंध लगा चुकी है। कई लोग मान रहे हैं कि लिंगायत समाज के दो बड़े नेता शेट्टार और सावदी के बीजेपी से निकल कर कांग्रेस में जाने से लिंगायत वोट पर असर पड़ सकता है। लेकिन यह यह सब महज एक कारक हो सकता है। (Congress)कांग्रेस काफी पहले से ही लिंगायत समाज के बीच पहुँच गई है और अब राहुल गाँधी लिंगायत मठों की परिक्रमा करते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में मात्र पांच फीसदी ज्यादा वोटों की जरूरत है। इसी को पाने के लिए कांग्रेस लिंगायत समाज के बीच पहुँच रही है। कांग्रेस को उम्मीद हैं कि लिंगायत में जो प्रोग्रसिव युवा हैं वे कांग्रेस के साथ जुड़ेंगे और ऐसा हुआ तो बीजेपी की हार निश्चित मानी जा सकती है।

कांग्रेस अपने इस टारगेट को पूरा करने के लिए 2 फीसदी वोट बोक्कालिंगा समाज में भी बढ़ाने की रणनीति (Politician)पर काम कर रही है।जगदीश शेट्टार के कांग्रेस में जाने से कांग्रेस को एक बड़ा लाभ यह हुआ है कि अब राहुल गांधी सीधे लिंगायत नेताओं और मठों के बीच पहुँच रहे हैं और रहा है कि(Karnataka) कर्नाटक के बहुतेरे लिंगायत मठ अब राहुल के समर्थन में उतर गए हैं। लिंगायतों का कहना है कि वह अभी तक येदियुरप्पा के साथ खड़े थे लेकिन जब येदियुरप्पा की राजनीति ही ख़त्म हो गई तो मौजूदा बीजेपी(BJP) के साथ रहने से कोई लाभ नहीं है। बीजेपी के बीच लिंगायत की यही सोंच परेशान करने वाली है।

बता दें कि पिछले विधान सभा चुनाव (Election)में कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा वोट मिले थे। कांग्रेस को जहां 38 फीसदी वोट मिले थे वही बीजेपी को 36 फीसदी वोट ही मिले थे। लेकिन बीजेपी ज्यादा सीटे जीतने में सफल रही और सबसे बड़ी पार्टी हो गई। जेडीएस को 18 फीसदी वोट मिले थे। अब जानकार कह रहे हैं कि जो भी पार्टी पांच से 6 फीसदी नया वोट बैंक तैयार करेगी उसकी जीत हो सकती है। बीजेपी की दिक्कत ये है कि इस बार के चुनाव में भ्रष्टाचार के मामले को कांग्रेस ने चुनावी मुद्दा बना दिया है और जनता इसको मान भी रही है। इसके साथ ही मौजूदा बीजेपी सर्कार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी कुछ ज्यादा ही है। फिर लिंगायत समाज के कई नेता पार्टी से निकल चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने पांच फीसदी वोट बढ़ाने की चुनौती ज्यादा है। (Congress)कांग्रेस इस बात को समझ रही है। यही वजह है कि उसकी नजर उस फ्लोटिंग वोट पर है जो युवा आबादी है और भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करने से नहीं चुकती। यह आबादी धार्मिक खेल से अलग रहती है और किसी भी सूरत में संविधान पर यकीं करती है। कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस इस वोट बैंक को अपने पास स्विंग करने में सफल हो जाती है तो कर्नाटक(Karnataka) की राजनीति बदल सकती है और बीजेपी के हाथ से सत्ता छीन भी सकती है।

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पिछले चुनाव में कल्याण कर्नाटक इलाके से कांग्रेस करीब 20 से ज्यादा सीटें 2500 से तीन हजार के मतों से हार गई थी। कांग्रेस इस बार पूरा फोकस इन सीटों पर बनाये हुए है। यह वह इलाका है जहाँ से खनन माफिया कहलाने वाले जनार्दन रेड्डी भी बीजेपी से अलग हटकर चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी के लिए जनार्दन रेड्डी भी खतरा बने हुए हैं। वह बीजेपी के वोट को काट सकते हैं और ऐसे में कांग्रेस अपना सीट आसानी से निकाल सकती है।(Election News)

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