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झारखंड की चम्पई सरकार को विश्वासमत हासिल ,लेकिन अभी भी खेल बाकी

Jharkhand political news highlights | Jharkhand samachar today

Jharkhand news: खेल तो खेल है। जो खेल की शुरुआत करते हैं उसका अंत भी वही करते हैं। झारखंड में सरकार गिराने का खेल बीजेपी ने शुरू किया था तो उसका अंत भी बीजेपी ही करेगी। कब करेगी यह अभी तय नहीं है लेकिन कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले तक एक बार फिर से झारखंड में खेला शुरू हो सकता है।
खैर आगे क्या होगा यह तो बाद की बात है लेकिन मौजूदा सच यही है कि झारखंड नयी चम्पई सोरेन सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है। बीजेपी के सारे खेल को बिगाड़ते हुए चम्पई सरकार के स्कामरथन में महागठबंधन के 47 विधायकों ने वोट डाले हैं। विपक्ष में 29 वोट पड़े हैं। बहुमत साबित करने के समय पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी विधानसभा थे। अदालत से उन्हें इसकी इजाजत मिली थी।


जब विश्वासमत में महागठबंधन की जीत हो गई तब हेमंत ने बड़ी बाते कही है। उन्होंने केंद्र सरकार की एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी की रात को मेरी गिरफ्तारी लोकतंत्र का एक काला अध्याय है। एक सुनियोजित साजिश के तहत इसे अंजाम दिया गया। और राजभवन भी इस साजिश में शामिल था।
जब सीएमचम्पई सोरेन सदन में विशव मत पेश कर रहे थे तब भी हेमंत ने कहा कि उन्होंने मुझे साढ़े आठ एकड़ जमीन के कथित घोटाले में गिरफ्तार किया है। लेकिन मैं चुनौती देता हूँ कि ए ये लोग इससे जुड़ा एक भी कागजात पेश कर दें तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा।


हेमंत ने किसी का नाम लिए वगैर कहा कि ये लोग आदिवासियों ,दलितों और अल्पसंख्यकों पर वर्षों से अत्याचार करते आ रहे हैं। और 31 जनवरी को मेरी गिरफ़्तारी भी इसी तरह के अत्याचार का हिस्सा है। ये लोग चाहते हैं कि 50 से सौ साल पहले की तरह ही आदिवासी जंगलों में जाकर रहे।
सदन में शक्ति परिक्षण से पहले चम्पई ने कहा कि मैं गर्व से कहता हूँ कि मैं हेमत सोरेन का पार्ट 2 हूँ। फ्लोर टेस्ट के पहले विधान सभा में खूब हंगामा भी हुआ। हेमंत के समर्थन में बहुत से विधायकों ने जिंदाबाद के नारे भी लगाए और विपक्ष के खिलाफ भी नारेबाजी हुई। विपक्ष के खिलाफ है -हाय के नारों से सदन गूंजता रहा।
राज्यपाल जैसे ही अपना अभिभाषण शुरू करने की तैयारी कर रहे थे उसी समय कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने आसान पर खड़े होकर आरोप लगाया कि रज्य में जनता की चुनी हुई सरकार को केंद्र के इशारे पर अपदस्थ किया गया। यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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